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- बिजली संकट का सामना...
वर्तमान व्यवस्था में बिजली बोर्डों को उत्पादकों से ईंधन के मूल्य के अनुसार बिजली खरीदनी पड़ती है। जब अंतरराष्ट्रीय कोयले अथवा तेल के दाम बढ़ जाते हैं तो इन्हें महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है। लेकिन उपभोक्ताओं को इन्हें उसी पूर्व के मूल्य पर बिजली बेचनी पड़ती है क्योंकि उपभोक्ताओं को किस मूल्य पर बिजली बेची जाएगी, यह लंबे समय के लिए विद्युत नियामक आयोगों द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसलिए बिजली बोर्डों के सामने संकट पैदा हो गया है। एक तरफ उन्हें महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है, लेकिन उपभोक्ता से वे पूर्व के अनुसार बिजली के कम दाम ही वसूल कर सकते हैं। इसलिए हमें व्यवस्था करनी होगी कि बिजली के दामों में भी उसी प्रकार परिवर्तन किया जाए जिस प्रकार डीजल और पेट्रोल के दाम में परिवर्तन होता है। तब बिजली बोर्ड खरीद के मूल्य के अनुसार उपभोक्ता को महंगी अथवा सस्ती बिजली उपलब्ध करा सकेंगे और इस प्रकार का संकट पुनः उत्पन्न नहीं होगा। इसके साथ ही ऊर्जा की खपत भी कम करनी होगी…