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किरण चोपड़ा: आजकल हमारी वरिष्ठ नागरिक क्लब की फेसबुक पेज पर आनलाइन कल, आज और कल की प्रतियोगिता चल रही है, जो एक ऐप के द्वारा पहली पांच पोजिशन निकलेगी बाकी की 10 वीडियो जो हमारी चयन समिति पसंद करेगी वो पहली अक्तूबर को हमारे वार्षिक प्रोग्राम में दिखाई जाएंगी क्योंकि उस दिन हम 17 साल पूर्ण करके 18वें साल में प्रवेश कर जाएंगे। वाह क्या बात है हम इतने व्यस्त और मस्त रहे मालूम ही नहीं पड़ा की काम करते-करते वरिष्ठ नागरिकों के बारे लिखते, बोलते 17 वर्ष बीत गए। बहुत से साथी बिछड़े, बहुत से साथी नए आए। हम सबको मालूम है कि एक दिन सबने जाना है, परन्तु फिर भी जो चले जाते हैं वो अपना प्यार हमारे दिलों में छोड़ जाते हैं, जो आए दिन याद आते हैं। हमने बहुत सी प्रतियोगिताएं कीं, परन्तु जो यह प्रतियोगिता है कल, आज और कल इसने आए दिन मेरी आंखें किसी न किसी तरह से नम की, क्योंकि बहुत से सदस्य हैं जिनके बच्चे विदेशों में हैं या काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में और कइयों के वैसे ही साथ नहीं रहते और कइयों के साथ रहते हुए भी साथ नहीं और कइयों की सिर्फ बेटियां हैं जो ब्याह कर चली गई हैं, परन्तुु फिर भी सभी का दिल करता है कि हिस्सा जरूर लें। सबने जिन्होंने भी हिस्सा लिया, उन्होंने अपने अलग तरीके अपनाए।विदेशों में रहने वालों के बच्चों के साथ वीडियो का तरीका निकाला हमारे गुडग़ांव के ब्रैंड एम्बेसडर सरदाना जी और उनकी पत्नी ने, जिसे देखकर मैं बहुत खुश भी हुई और बहुत रोई भी। बच्चे दूर हैं सिंगापुर, हांगकांग, बोस्टन और डेनमार्क में परन्तु अपने माता-पिता को बहुत प्यार करते हैं। उन्होंने अपने पिता के अनुसार गाने पर वीडियो बनाकर भेजी। क्या बात है उसके बाद तो सबको आइडिया मिल गया। उसके बाद पंजाबी बाग की आशा चौधरी और हरिचंद चौधरी जिनकी दो बेटियां लंदन और अमेरिका ब्याही हैं। उन्होंने बहुत ही प्यारी वीडियो अपने बच्चों के साथ भेजीं। बेटियां तो बेटियां जो उनके दोनों दामादों और नातियों ने पार्टिसिपेशन किया वो देखने लायक है। बहुत से लोगों ने अपने बच्चों और पोते-पोतियों की फोटो से काम चलाया, जिनको देखकर भी आंखें नम होती गईं। अमेरिका से फरीदाबाद ब्रांच की दविन्द्र कौर ने अपनी नातिन के साथ वहां से भेजी।सबसे अधिक वीडियो पश्चिम विहार की आई, जिसमें उनकी हैड रमा अग्रवाल जी की बहुत मेहनत है। उन्होंने अपने सदस्यों को बहुत प्रोत्साहित किया और नए आइडिया भी दिये। उनकी मेहनत को मैं नतमस्तक हूं और उनके सदस्यों को भी जिन्होंने नए आइडिया के साथ हिस्सा लिया। उसके बाद मैं नरेला शाखा के दहिया जी को प्रणाम और नतमस्तक हूं। 91 वर्षीय दहिया जी 19 वर्ष का जोश रखते हैं। उन्होंने खुद भी हिस्सा लिया और अपने सदस्यों को भी गांव की मर्यादा रखते हुए प्रतिनिधित्व करवाया क्या बात है। कभी मंत्र पढ़वा दिए, हवन करवा दिया। तीनों पीढिय़ों को बिठाकर भजन गा दिया, वाह दहिया जी कमाल है आपका। 91 वर्षीय पंजाबी बाग की शांति वोहरा और उनके परिवार का भी कमाल है। नोएडा के अभी जी हमारे ब्रांड अम्बेसडर हैं उनके बच्चों ने बहुत सराहा और वीना जी माडल टाऊन शाखा से ब्रांड अम्बेसडर ने अपना जलवा दिखाया। अहमदाबाद की रक्षा शाह ने तो कमाल कर दिया। सबको उनके बच्चों ने बता दिया कि अगर आप घुुटनों के दर्द की वजह से माता के दर्शन नहीं कर सकते तो आनलाइन दर्शन कर लो। वो हर प्रतियोगिता में नए ढंग से नए आइडिया से आती हैं। गुडग़ांव के सुभाष गुलाटी जी ने जो गाना इस्तेमाल किया उसे सुनकर भी आंखें नम हुईं। उन्होंने एक माता-पिता की फिलिंग को दर्शाया। इस बार रोहिणी ब्रांच ने तो कमाल कर दिया। सबसे पहले साधन आर्य जी ने वीडियो भेजा। फिर तो बहुत से सदस्यों ने हिस्सा लिया। पंजाबी बाग ब्रांच के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया, परन्तु दर्शन खरबंदा और सुरक्षा खरबंदा जी के बच्चों ने हर बार की तरह कमाल कर दिया। साथ ही चन्द्रकांता पंजाबी बाग के बच्चों ने भी कमाल किया। इस बार हैदराबाद शाखा और पंजाबी बाग की शाखा थोड़ा पीछे रही, परन्तु कोशिश पूरी की। गुडग़ांव, सोनीपत, कतलूपुर, गुजरांवाला, माडल टाऊन, नोएडा, जीके, ग्रीन पार्क शाखा भी थोड़ी-थोड़ी भागीदारी रही, क्योंकि यह शाखाएं और इनके हैड की मेहनत किसी से कम नहीं, परन्तु मैं रोज वरिष्ठ नागरिकों से मिलती हूं (कोरोना समय से नहीं मिल रही) तो मैं उनकी भावनाएं, दर्द या बच्चों की व्यस्तताएं जानती हूं। बहुत से लोगों ने हैल्पलाइन पर कॉल भी किया, उनके बच्चे व्यस्त हैं या दूर हैं। हम मित्र मिलकर बहू, बेटी, बच्चे बनकर भाग ले सकते हैं। मेरी यह बात सुनकर भी आंखें नम हुईं, क्योंकि ऐसा मुश्किल था। हर प्रतियोगिता में 400, 500 या 1000 तक वीडियो आईं पर इस बार 100 का आंकड़ा भी न पार कर सकीं। यही कल, आज और कल की वास्तविकता है। यही मैं सबको बताना चाहती हूं मां-बाप हमेशा बच्चों के लिए अच्छा सोचते हैं, आशीर्वाद देते हैं। जहां भी बच्चे रहें चाहे वो कितने भी दूर हों उनके दिलों में रहते हैं और उनके हाथ हमेशा उनके लिए आशीर्वाद और दुआओं के लिए उठते हैं। संपादकीय :पाक और चीन का फौजी रुखकोरोना काल में नस्लभेदचन्नीः एक तीर से कई शिकारस्पेस टूरिज्म : अरबपतियों का रोमांचबंगाल में तृणमूल और भाजपागुलामी के समय की न्याय व्यवस्थाइस प्रतियोगिता की कई वीडियो इस बात की प्रमाण हैं और नम आंखों से सभी बच्चों को एक संदेश जरूर देना चाहूंगी कि जहां तुम आज हो वहां कल तुम्हारे माता-पिता थे और जहां आज तुम्हारे माता-पिता हैं वहां कल आप होंगे। सो यह कल, आज और कल का सिलसिला चलता रहेगा, यही जिन्दगी की वास्तविकता है।