सम्पादकीय

अवमानना की हद

Subhi
16 July 2022 4:55 AM GMT
अवमानना की हद
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देश के अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणियों का विरोध करने को अवमानना मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा सहित तीन लोगों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की इजाजत भी नहीं दी।

Written by जनसत्ता; देश के अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणियों का विरोध करने को अवमानना मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा सहित तीन लोगों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की इजाजत भी नहीं दी। देखा जाए तो अटार्नी जनरल का यह फैसला उचित है। ऐसा इसलिए भी कि जायज आलोचना का हक सबको है। आलोचना किसी की भी हो और उचित दायरे में की जाए तो इसमें क्या हर्ज?

फिर अगर ऐसे हर मामले में लोग अवमानना की याचिका लिए तैयार खड़े रहेंगे तो अदालतों में ऐसे मामलों का अंबार लग जाएगा। दरअसल, पिछले एक पखवाड़े नूपुर शर्मा मामले में शीर्ष अदालत के जजों की टिप्पणियों को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है। गौरतलब है कि नूपुर शर्मा ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में पैंगबर मोहम्मद को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी। इसके बाद देशभर में इसका विरोध होने लगा। इस दौरान उदयपुर में एक दर्जी की सरेआम हत्या कर दी गई। पता चला कि उसने नूपुर शर्मा का समर्थन किया था, इसलिए उसकी हत्या कर दी गई।

इस घटना के बाद जो नया विवाद पैदा हुआ, वह कहीं ज्यादा गंभीर है। विवादित टिप्पणी से नाराज लोगों ने नूपुर शर्मा के खिलाफ कई शहरों में मामले दर्ज करवाए। इन सभी मामलों को लेकर एक जगह करने को लेकर नूपुर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। लेकिन इस मामले की सुनवाई करने वाली दो जजों की पीठ ने पूरी घटना पर जिस तरह की नाराजगी जताई, उसकी जम कर आलोचना हुई।


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