सम्पादकीय

सीमा सड़कों का विस्तार

Gulabi Jagat
27 July 2022 4:45 AM GMT
सीमा सड़कों का विस्तार
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सीमा से लगे इलाकों में सड़क, हेलीपैड, सैनिक अड्डों आदि के निर्माण के लिए चीन ने वर्षों से भारी निवेश किया है, जिससे वह तिब्बती स्थलाकृति का कहीं बेहतर इस्तेमाल कर पाने में सक्षम है. इस मामले में भारत का रवैया दशकों तक ढुलमुल रहा, यह मानते हुए कि दुर्गम स्थान होने से चीनी घुसपैठ नहीं होगी. हालांकि, बीते डेढ़ दशक से रणनीति में बदलाव आया है.
जून, 2020 में गलवान घाटी में सैनिकों की हिंसक झड़प के बाद से भारत ने सीमा अवसंचरना विकास के लिए तत्परता दिखायी है. राज्यसभा में सरकार ने बताया कि पांच वर्षों में भारत-चीन सीमा पर सभी मौसम अनुकूल 2,088 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ है. सड़क अवसंरचना के लिए 15,477 करोड़ रुपये खर्च किये गये. साथ ही चीन, पाकिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश की सीमा तक पहुंच आसान बनाने के लिए 20,767 करोड़ की लागत से 3,595 किमी सड़क का निर्माण किया गया है. इसमें सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा 4,242 करोड़ की लागत से भारत-पाकिस्तान सीमा पर बनायी गयी 1,336 किमी की सड़क भी शामिल है. दिसंबर, 2022 तक बीआरओ 61 सामरिक सड़कों को पूरा कर देगा, ताकि सीमाई इलाकों में सैनिकों और अन्य सामानों का आवागमन आसान हो सके.
चीन ने नॉर्दर्न सेक्टर में सैनिकों की मौजूदगी बढ़ायी है. पर्वतीय इलाकों में आवागमन की बेहतर व्यवस्था होने से चीनी सैनिक दुर्गम स्थानों पर जल्दी दाखिल हो जाते हैं. ऐसे में बीआरओ को समानांतर परियोजनाएं जारी रखने के साथ-साथ तकनीक की मदद से इसे समयबद्ध ढंग से पूरा करना चाहिए. वर्ष 2022-23 में बीआरओ के पूंजी बजट में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई, अब यह 3500 करोड़ रुपये हो गया है. सीमाई इलाकों की सुरक्षा और विकास के प्रति सरकार की इससे प्रतिबद्धता जाहिर होती है.
सीमा पर गतिरोध और चीनी सैनिकों के जमावड़े को देखते हुए सीमा सुरक्षा और निगरानी को बेहतर करने की आवश्यकता है. बीआरओ ने 2021-22 में 102 अवसंरचना परियोजनाओं, जिसमें 87 पुल और 15 सड़कें शामिल हैं, को पूरा किया है, जो किसी एक साल में अधिकतम है. इससे सशस्त्र बलों की तैयारी में मदद तो मिलेगी ही, साथ ही दूरदराज इलाकों में रहनेवालों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. मई, 2020 में सरकार ने सीमा अवसंरचरना से संबंधित शेकातकर समिति के सुझावों को लागू किया था, जिससे बीआरओ की खरीद क्षमता बढ़ी है. साथ ही बीआरओ महत्वपूर्ण उपकरणों को हासिल कर सड़क निर्माण कार्यों में तेजी ला रहा है.
निर्माण परियोजनाएं समय से और सही ढंग से पूरी हों, इसके लिए विभिन्न मंत्रालयों के बीच बेहतर तालमेल जरूरी है. सीमित संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल के साथ-साथ लालफीताशाही को हटाना होगा. इससे परियोजनाएं तय समय में पूरी होंगी. चीन की हरकतों और संभावित चुनौतियों को देखते हुए ऐसे प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है.


प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय
Gulabi Jagat

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