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केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल नवनियुक्त मंत्रियों ने अपना कामकाज संभाल लिया। इनमें नए मंत्री भी हैं और पुराने भी,
संजय पोखरियाल| केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल नवनियुक्त मंत्रियों ने अपना कामकाज संभाल लिया। इनमें नए मंत्री भी हैं और पुराने भी, लेकिन उनके सामने चुनौतियां एक जैसी हैं और सबसे बड़ी चुनौती है कम समय में ज्यादा काम करने की तथा प्रधानमंत्री के साथ-साथ जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की। उम्मीद की जाती है कि सभी मंत्री अपने समक्ष उपस्थित चुनौतियों से भली तरह परिचित होंगे और उनका सामना बेहतर ढंग से करेंगे। यह स्वाभाविक है कि जो नेता पहली बार मंत्री बने हैं और खासकर कैबिनेट मंत्री, उन पर सबसे अधिक निगाहें होंगी। वैसे तो नए मंत्रियों में कई ऐसे हैं, जिन्होंने सबका ध्यान आकर्षति किया, लेकिन इनमें से एक प्रमुख नाम है अश्विनी वैष्णव का, जो राज्यसभा सदस्य से सीधे कैबिनेट मंत्री बने।
मंत्रिपरिषद में उनकी उपस्थिति ने विदेश सेवा के पूर्व अधिकारियों एस जयशंकर और हरदीप पुरी का स्मरण कराया, जो सीधे मंत्री बने थे। यह एक नया प्रयोग है, लेकिन यह जारी रहना चाहिए, क्योंकि योग्य एवं दक्ष व्यक्ति कहीं भी हो, उनका शासन संचालन में सहयोग लिया जाना चाहिए। अश्विनी वैष्णव वैसे तो पूर्व आइएएस अधिकारी हैं, लेकिन उन्हें तकनीक और प्रबंधन का भी विशेषज्ञ माना जाता है। उनकी एक पहचान यह भी है कि वह प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पीएमओ में उपसचिव भी रहे हैं। उन्हें ओडिशा में तूफान के बाद चलाए गए प्रभावी राहत कार्य के लिए भी जाना जाता है। अब उन्हें रेलवे, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के मंत्री के रूप में चुनौतियों का सामना करना है।
यह अच्छा है कि सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय का काम संभालने के पहले ही दिन अश्विनी वैष्णव ने अपनी प्राथमिकताएं बताते हुए दो टूक कहा कि भारत में रहने और काम करने वालों को देश के नियम मानने ही होंगे। नि:संदेह उनका इशारा ट्विटर की ओर था, जो इंटरनेट मीडिया के लिए तय किए गए नियमों को मानने से कन्नी काट रहा है। हालांकि इस पर उसे दिल्ली उच्च न्यायालय से फटकार सुनने को मिली है, लेकिन अभी यह कहना कठिन है कि वह आसानी से सीधे रास्ते पर आ जाएगा।
नए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में अश्विनी वैष्णव को यह सुनिश्चित करना होगा कि ट्विटर और अधिक हीलाहवाली न करने पाए। बेशक ट्विटर अमेरिका की एक बड़ी कंपनी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह भारत में काम करते हुए यहां के नियम मानने से इन्कार करे। आखिर जब इंटरनेट आधारित अन्य सोशल नेटवर्क साइट को सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी नए नियम मान्य हैं तो फिर ट्विटर को क्या परेशानी है? स्पष्ट है कि वह अड़ियल रवैया अपनाए हुए है। उसे ऐसे रवैये के लिए सबक सिखाने में देर नहीं की जानी चाहिए।
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