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फाइल फोटो
बीते दो सप्ताह में दो बार ऐसा हुआ कि देश में हवाई यात्रियों की दैनिक संख्या 41.5 और 43 लाख से अधिक रही.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | बीते दो सप्ताह में दो बार ऐसा हुआ कि देश में हवाई यात्रियों की दैनिक संख्या 41.5 और 43 लाख से अधिक रही. इस साल नवंबर में यात्रियों की कुल संख्या 11.1 करोड़ हो चुकी है. यह संख्या कोरोना काल से पहले के साल 2019 में इसी अवधि की तुलना में 15 फीसदी अधिक है. इसका अर्थ यह है कि महामारी के दौरान लगे झटकों से उड्डयन क्षेत्र तेजी से उबरा है.
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इन तथ्यों को रेखांकित करते हुए कहा है कि इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं- एक, लोगों की यात्रा करने की इच्छा तथा दो, एयरलाइनों द्वारा जहाजों की संख्या बढ़ाना एवं देश में हवाई अड्डों की बढ़ती संख्या. उल्लेखनीय है कि 2013-14 में देश में 74 हवाई अड्डे थे, जो अब 146 हो चुके हैं तथा आगामी चार-पांच वर्षों में इस संख्या 200 से अधिक करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
इसी माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोवा में मोपा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया है. जुलाई में देवघर और नवंबर में इटानगर में भी हवाई अड्डों का उद्घाटन हुआ. यात्रियों की बढ़ती संख्या के हिसाब से उड़ान सेवाओं के विस्तार का अनुमान लगाया जा सकता है. साल 2010 में 7.90 करोड़ लोगों ने जहाज से यात्रा की थी. सात साल बाद यह संख्या 15.80 करोड़ हो गयी थी.
वर्ष 2019 में यह संख्या 14.4 करोड़ रही थी. मध्य आय वर्ग के परिवारों की बढ़ती आय, इस क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और सेवाओं एवं संसाधनों के बढ़ने की गति को देखकर यह आकलन किया जा रहा है कि 2037 तक भारत में हवाई जहाज से यात्रा करने वाले लोगों की संख्या 52 करोड़ तक हो जायेगी. सिंधिया ने यह भरोसा जताया है कि उड्डयन क्षेत्र नये विकास की ओर अग्रसर है और यह वृद्धि स्थायी होगी. इस भरोसे के ठोस आधार हैं.
उड्डयन क्षेत्र का विकास भारत सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में है. चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पेश हुए बजट में प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना के अंतर्गत सात इंजनों का उल्लेख किया गया था. उसमें एक हवाई अड्डों का विस्तार भी शामिल है. हमारे देश में उड्डयन बाजार के 14-15 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर के हिसाब से 2025 तक 4.33 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच सकता है.
उड्डयन क्षेत्र में कई कंपनियों के साथ 42 से अधिक स्टार्टअप भी सक्रिय हैं. क्षेत्र के विस्तार के साथ पायलट और अन्य कर्मचारियों की मांग भी बढ़ रही है. उल्लेखनीय है कि 2026 तक भारतीय ड्रोन उद्योग भी 1.8 अरब डॉलर का हो सकता है. टिकटों को सस्ता करने, उड़ानों को सुरक्षित बनाने तथा हवाई अड्डों पर अच्छी व्यवस्था पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
जनता से रिश्ता इस खबर की पुष्टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध्यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प्रकाशित की जा रही है। इस पर जनता से रिश्ता खबर की सच्चाई को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।
सोर्स: prabhatkhabar
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