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- मोदी मंत्रिमंडल में...
भूपेंद्र सिंह| केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने से मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावनाएं और प्रबल हो गई हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार अवश्यंभावी होने के कुछ और भी कारण हैं। एक तो मोदी सरकार के कार्यकाल के दो वर्ष पूरे हो चुके हैं और दूसरे, शिवसेना एवं अकाली दल के मंत्री मंत्रिमंडल से बाहर हो चुके हैं। इसके अलावा रामविलास पासवान के निधन से भी मंत्री पद रिक्त है। यह भी ध्यान रहे कि अगले वर्ष पांच राज्यों में चुनाव हैं और इस दृष्टि से भी कुछ चेहरों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जाना स्वाभाविक है। एक अन्य तथ्य यह भी है कि इस मंत्रिमंडल में कई ऐसे मंत्री हैं, जिनके पास एक से अधिक मंत्रालय हैं। कुछ मंत्री तो ऐसे हैं जिनके पास चार-चार मंत्रालय हैं। स्पष्ट है कि यह आदर्श स्थिति नहीं। एक-दो से अधिक मंत्रालयों को संभाल रहे मंत्रियों के काम का बोझ केवल इसलिए कम नहीं किया जाना चाहिए कि वह अपना काम सही तरह से कर सकें, बल्कि इसलिए भी कम किया जाना चाहिए, क्योंकि शेष तीन साल के कार्यकाल में मोदी सरकार के उस एजेंडे को पूरा करने की चुनौती सामने आ खड़ी हुई है, जो कोविड महामारी के कारण बाधित हुआ है। नि:संदेह कम समय में अधिक काम तभी हो सकता है, जब केंद्रीय मंत्री अपने काम पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे सकेंगे।