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- नैरेटिव पर छूटता...
किसान आंदोलन के चक्का कार्यक्रम के दिन यानी 6 फरवरी को एक खास बात यह रही कि प्रशासन ने उन जगहों पर भी शहर को लगभग जाम कर दिया, जिन्हें किसान संगठनों ने जाम से छूट दी थी। इनमें एक प्रमुख जगह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली है। शहर का नजारा पुलिस व्यवस्था और जगह- जगह लगाए गए बैरिकेड्स के कारण आम हड़ताल जैसा बना रहा। उधर उन वामपंथी संगठनों के समर्थन कार्यक्रम में लगभग दस गुना बल तैनात किया गया, जिनकी बैठकों में सौ- सवा सौ से ज्यादा लोग कभी नहीं आते। नतीजा हुआ कि उस छोटी सभा का टीवी चैनलों पर सीधा प्रसारण हुआ, जिसमें खुद पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक लगभग लगभग 60 लोग थे, जिन्हें हिरासत में लिया गया। तो ये उदाहरण हैं कि सरकार किसान आंदोलन से कैसे निपट रही है। मगर यह सत्ताधारियों को शायद कोई बताने वाला नहीं है कि इन तौर- तरीकों से वह आंदोलन को अधिक चर्चित और अधिक लोगों के मानस तक पहुंचा रही है।