सम्पादकीय

नाकाम योजना पर अमल

Triveni
23 Jun 2021 2:38 AM GMT
नाकाम योजना पर अमल
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असम सरकार अगर तथ्यों और अनुभव का अध्ययन करती, तो वह इस जनसंख्या नीति को कतई नहीं अपनाती।

असम सरकार अगर तथ्यों और अनुभव का अध्ययन करती, तो वह इस जनसंख्या नीति को कतई नहीं अपनाती। लेकिन अगर मकसद सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काए रखने का हो, तो फिर इतिहास के अनुभवों से कुछ सीखने की उम्मीद रखना बेकार है। वरना, असम सरकार कहीं दूर नहीं देखना था। अपने पड़ोस के देश चीन की तरफ झांकना भर था, जहां 1980 के दशक में वन चाइल्ड यानी एक बच्चे की इजाजत देने की नीति लागू की गई थी। नतीजा नुकसानदेह रहा। आखिरकार 2015 में आकर चीन ने उस नीति को तिलांजलि दी। और अब अधिक बच्चों के जन्म को प्रोत्साहन देने की नीति पर चल रही है। क्यों, इस सवाल पर बाद में आएंगे। पहले गौर करें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एलान किया है कि असम सरकार की विशेष योजनाओं के तहत लाभ लेने के लिए दो बच्चे की नीति को लागू की जाएगी। यानी जिन लोगों को दो से ज्यादा बच्चे होंगे, उन्हें उन योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा। इससे तात्कालिक संदेश यह जाएगा कि असम की भाजपा सरकार ने मुसलमानों को एक और सबक सिखाया है। इसलिए कि आम धारणा यही है कि मुस्लिम परिवारों में ज्यादा बच्चे होते हैं।

जबकि जनसंख्या आंकड़ों का निष्कर्ष यह है कि ज्यादा बच्चे होने का सीधा संबंध परिवार की आर्थिक स्थिति और सामाजिक चेतना से है। जब महिलाएं कामकाजी हो जाती हैं और परिवार मध्य वर्ग में प्रवेश करता है, तो चाहे वह किसी जाति या धर्म से जुड़ा हो, उसमें कम बच्चे पैदा करने और उनका ठीक से पालन-पोषण करने की प्रवृत्ति स्वाभाविक रूप से आ जाती है। इसलिए पिछली जनगणना में देखा गया था कि मुस्लिम और दलित परिवारों में प्रति माता-पिता बच्चों का अनुपात लगभग समान था। अब असम सरकार की नीति का परिणाम यह होगा कि इन समुदायों के परिवार सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हो जाएंगे। इस तरह उनका पिछड़ापन और गहरा हो जाएगा। नतीजतन उनके यहां अपेक्षाकृत अधिक बच्चों के जन्म लेने की रवायत चलती रहेगी। चीन और लगभग सारे समाजों का अनुभव यह है कि सामाजिक विकास के साथ परिवार नियोजन पर अमल लोग खुद करने लगते हैं। इसीलिए चीन में वन चाइल्ड पॉलिसी से जन्म दर चिंताजनक स्तर तक गिर गई और दूसरी तरफ लैंगिक असंतुलन भी पैदा हुआ। अब ये विंडबना ही है कि जब चीन अपनी गलती सुधार रहा है, भारत में उसे दोहराने की तैयारियां की जा रही हैं।


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