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- नाकाम योजना पर अमल

असम सरकार अगर तथ्यों और अनुभव का अध्ययन करती, तो वह इस जनसंख्या नीति को कतई नहीं अपनाती। लेकिन अगर मकसद सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काए रखने का हो, तो फिर इतिहास के अनुभवों से कुछ सीखने की उम्मीद रखना बेकार है। वरना, असम सरकार कहीं दूर नहीं देखना था। अपने पड़ोस के देश चीन की तरफ झांकना भर था, जहां 1980 के दशक में वन चाइल्ड यानी एक बच्चे की इजाजत देने की नीति लागू की गई थी। नतीजा नुकसानदेह रहा। आखिरकार 2015 में आकर चीन ने उस नीति को तिलांजलि दी। और अब अधिक बच्चों के जन्म को प्रोत्साहन देने की नीति पर चल रही है। क्यों, इस सवाल पर बाद में आएंगे। पहले गौर करें कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एलान किया है कि असम सरकार की विशेष योजनाओं के तहत लाभ लेने के लिए दो बच्चे की नीति को लागू की जाएगी। यानी जिन लोगों को दो से ज्यादा बच्चे होंगे, उन्हें उन योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया जाएगा। इससे तात्कालिक संदेश यह जाएगा कि असम की भाजपा सरकार ने मुसलमानों को एक और सबक सिखाया है। इसलिए कि आम धारणा यही है कि मुस्लिम परिवारों में ज्यादा बच्चे होते हैं।
