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- असंवेदनशीलता की मिसाल
केंद्रीय बजट में हर बार की तरह इस बार भी भाजपा सरकार ने आंकड़ों का खूब खेल किया। जहां असल में बढ़ोतरी नहीं हुई, वहां बड़ी बढ़ोतरी दिखा दी गई। मसलन, स्वास्थ्य क्षेत्र में 137 फीसदी का इजाफा बताया गया। लेकिन जब आंकड़ों का विश्लेषण किया गया, तो सामने आया कि वैक्सीन या वित्त आयोग के अनुदान के कारण एक बार आवंटित धन को भी स्वास्थ्य बजट का हिस्सा बता दिया गया। जब महामारी वाले साल में स्वास्थ्य बजट के साथ ऐसा हुआ, तो बाकी मदों में कैसे हेडलाइन मैनेजमेंट की कोशिश हुई होगी, इसका अनुमान कोई लगा सकता है। सबसे हैरतअंगेज व्यवहार तो कृषि क्षेत्र के साथ किया गया है। जिस समय किसान आंदोलन सुर्खियों में है, ये सहज अपेक्षा थी कि सरकार किसानों को लुभाने के लिए बजट में कोई ठोस पहल करेगी। लेकिन जो पहल उसके दावों में ऊपर छाई रहती है, उसके लिए आवंटन घटा दिया गया। 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना का शुभारंभ किया था। इसके तहत 60 वर्ष की आयु पूरी करने वाले किसानों को न्यूनतम 3000 रुपये प्रति माह पेंशन उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था।