सम्पादकीय

परीक्षा कराए जाने का प्रश्न: राज्य बोर्डों की 12वीं की परीक्षाएं कराने-न कराने का फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया

Triveni
24 May 2021 2:02 AM GMT
परीक्षा कराए जाने का प्रश्न: राज्य बोर्डों की 12वीं की परीक्षाएं कराने-न कराने का फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया
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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई की 12वीं की परीक्षाओं के संदर्भ में फैसला लेने के लिए बुलाई गई बैठक भले ही किसी नतीजे पर न पहुंची हो, लेकिन ऐसा लगता है

भूपेंद्र सिंह | केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई की 12वीं की परीक्षाओं के संदर्भ में फैसला लेने के लिए बुलाई गई बैठक भले ही किसी नतीजे पर न पहुंची हो, लेकिन ऐसा लगता है कि केंद्रीय मंत्रियों समेत कुछ राज्यों के शिक्षा मंत्री इस निष्कर्ष पर पहुंच रहे हैं कि ये परीक्षाएं कराई जानी चाहिए। इन परीक्षाओं के आयोजन को लेकर अंतिम फैसला कुछ भी हो, पहली प्राथमिकता परीक्षाएं कराने की संभावनाएं टटोलने की होनी चाहिए, क्योंकि ये छात्रों के भविष्य निर्धारण में महती भूमिका निभाती हैं। इनके जरिये छात्रों की मेधा का न केवल वास्तविक मूल्यांकन होता है, बल्कि यह भी तय होता है कि उन्हेंं आगे क्या और कहां पढ़ाई करनी चाहिए? इसी कारण कोरोना की दूसरी लहर के सिर उठा लेने पर यह फैसला किया गया था कि सीबीएसई के 10वीं के छात्रों को तो आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर बिना परीक्षा पास कर दिया जाएगा, लेकिन परिस्थितियां अनुकूल रहने पर 12वीं की परीक्षाएं कराई जाएंगी। फिलहाल कहना कठिन है कि आगे क्या स्थिति बनेगी, लेकिन अभी ऐसा लग रहा है कि जुलाई तक हालात सामान्य हो जाएंगे और तब कोविड प्रोटोकाल का सख्ती से पालन करते हुए परीक्षाएं कराई जा सकती हैं। कोरोना संक्रमण के मामले जिस तेजी से कम हो रहे हैं, उससे 15 जुलाई के बाद परीक्षाएं कराने के आसार बनते दिख रहे हैं। इसके बावजूद सभी विकल्प खुले रखे जाने चाहिए।

परीक्षाएं आयोजित कराने की संभावना बनने पर यह देखा जाना चाहिए कि क्या सभी विषयों की परीक्षा लेनी आवश्यक है? उचित यह होगा कि सीमित पाठ्यक्रम के आधार पर मुख्य विषयों की ही परीक्षा ली जाए, ताकि छात्रों को कम से कम जोखिम का सामना करना पड़े। पाठ्यक्रम कम रहने और चुनिंदा विषयों की ही परीक्षाएं होने से छात्र तनाव से भी बचेंगे। इससे अभिभावकों की भी चिंता एक हद तक कम होगी। चूंकि ऐसा हो सकता है कि जब परीक्षाएं हो रही हों, तब देश के कुछ हिस्सों में कोरोना संक्रमण का स्तर चिंताजनक हो, इसलिए भिन्न-भिन्न राज्यों में अलग-अलग समय पर भी परीक्षा कराने का विकल्प खुला रखना चाहिए। यह अच्छा हुआ कि शिक्षा मंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि परीक्षाओं को लेकर फैसला करते समय यह ध्यान रखा जाएगा कि छात्रों को कम से कम 15 दिन का समय मिले। यह सूचना भी छात्रों के तनाव को कम करने वाली साबित होनी चाहिए। चूंकि राज्य बोर्डों की 12वीं की परीक्षाएं कराने-न कराने का फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया है, इसलिए इसे राजनीतिक मसला बनाने से बचा जाना चाहिए। यह ठीक नहीं कि कुछ नेता इस पर संकीर्ण राजनीति कर रहे हैं।


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