सम्पादकीय

सबको सबक लेना होगा

Triveni
14 July 2021 10:15 AM GMT
सबको सबक लेना होगा
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भ्रमर मुखर्जी और अमेरिका स्थित अन्य संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने इसे चिंता की वजह बताया है

भ्रमर मुखर्जी और अमेरिका स्थित अन्य संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने इसे चिंता की वजह बताया है कि कोरोना वायरस संक्रमण की रिप्रोडक्शन दर (आर रेट) फिर से बढ़ने लगी है। बीते हफ्ते यह 0.78 से बढ़ कर 0.88 तक पहुंच गई। इस दर का मतलब यह है कि फिलहाल भारत में एक संक्रमित व्यक्ति औसतन एक से कम व्यक्ति में संक्रमण फैला रहा है। इसे संतोष की बात कहा जा सकता है, लेकिन अगर ट्रेंड बढ़ने का हो जाए, तो ये दर कितनी जल्दी 1 या उससे ज्यादा हो जाएगी, कहना मुश्किल है। चिंता की बात लोगों की तरफ से बरती जा रही असावधानियां भी हैं।

मसलन, खुद भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीते 9 जुलाई को मसूरी स्थित कैम्पटी फॉल पर सैलानियों की जुटी भारी भीड़ का वीडियो दिखाकर चेतावनी जारी की थी। 10 जुलाई को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि पहाड़ों में घूमना जान बचाने से ज्यादा जरूरी तो नहीं है। उसने लोगों से अपील की फिलहाल वे घर पर रहें और कोविड उचित व्यवहार बनाए रखें। ऐसा करके सरकार ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। लेकिन एक और पहलू ऐसा है, जिसका निर्णय खुद सरकार के हाथ में है। इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार का रुख चिंताजनक है, जबकि उत्तराखंड सरकार का क्या रुख है, यह अभी तक साफ ही नहीं हुआ है। गौरतलब है कि कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान पिछले साल कांवड़ यात्रा रद्द कर दी गई थी।
लेकिन इस बार हाल में हुई इतनी बड़ी तबाही को भुलाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा को मंजूरी दे दी है। जबकि संक्रामक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कांवड़ यात्रा एक सुपरस्प्रेडर आयोजन हो सकता है। आरोप है कि उत्तर प्रदेश सरकार अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव से ठीक पहले हिंदू भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती। लेकिन मुद्दा यह है कि महत्त्व हिंदुओं की जान का अधिक है, या उनकी अतार्किक भावनाओं का? अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार अगर इजाजत मिली, तो कांवड़ यात्रा के दौरान एक पखवाड़े में तीन से चार करोड़ यात्री हरिद्वार पहुंचेंगे। पिछले साल उत्तराखंड ने कुंभ यात्रा की इजाजत देकर सैकड़ों हिंदुओं की जान के लिए खतरा उत्पन्न किया था। बेहतर होगा कि दोनों राज्यों की सरकारें उस समय की हालत को याद रखें और फिर कोई जोखिम ना उठाएं।


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