सम्पादकीय

हर घर तिरंगा प्यारा

Gulabi Jagat
25 July 2022 4:51 AM GMT
हर घर तिरंगा प्यारा
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राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्र का सर्वोच्च प्रतीक है. यही कारण है कि जब भी तिरंगा फहराया जाता है, तो वह किसी भी अन्य झंडे या उपस्थिति से ऊपर होता है. तिरंगे का समुचित सम्मान सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्वज कानून बनाया गया है. इस वर्ष हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं.
इस अवसर पर केंद्र सरकार ने ध्वज कानून में सराहनीय बदलाव करते हुए यह प्रावधान किया है कि अब कोई भी नागरिक अपने आवास पर चौबीस घंटे राष्ट्रीय झंडा फहरा सकता है. उल्लेखनीय है कि अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों में एक महत्वपूर्ण अभियान 'हर घर तिरंगा' भी है, जिसके तहत नागरिकों से 13 से 15 अगस्त के बीच अपने घरों पर तिरंगा फहराने का आह्वान किया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जुलाई को सोशल मीडिया के माध्यम से यह निवेदन देश के समक्ष रखा है. उल्लेखनीय है कि 22 जुलाई, 1947 को ही तिरंगे को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. इस ऐतिहासिक तथ्य को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा पहली बार फहराये गये तिरंगे झंडे की तस्वीर भी साझा की थी. तिरंगे को फहराने में किसी तरह की जाने-अनजाने गलती न हो, इसका ध्यान रखते हुए पहले यह व्यवस्था थी कि सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच इसे घरों या कार्यालयों में नहीं फहराया जाना चाहिए.
वर्ष 2009 में इस प्रावधान में संशोधन करते हुए बहुत लंबे खंभों पर दिन-रात झंडे को लगाने की अनुमति दी गयी थी. अब इस नियम को विस्तार देते हुए नागरिकों को अपने घरों पर इसे चौबीस घंटे लगाने की स्वीकृति दे दी गयी है. स्वतंत्रता प्राप्ति के इस अमृत वर्ष में यह निर्णय निश्चित ही देशवासियों के लिए स्वागतयोग्य उपहार है. इससे 'हर घर तिरंगा' अभियान में अधिक से अधिक लोग भी हिस्सा ले सकेंगे.
माना जा रहा है 13 से 15 अगस्त के बीच चलने वाले इस अभियान में लगभग 30 करोड़ घरों पर राष्ट्रीय झंडा लगाया जायेगा. स्वतंत्रता दिवस तथा अन्य अवसरों पर झंडोतोलन केवल औपचारिकता नहीं होता, बल्कि इसके नीचे खड़े होकर हम अपने असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों और बलिदानियों को याद करते हैं, स्वतंत्र भारत की गौरवपूर्ण उपलब्धियों का उल्लास मनाते हैं तथा भविष्य में देश की एकता एवं अखंडता को बनाये रखते हुए प्रगति के पथ पर अग्रसर रहने का संकल्प लेते हैं.
साढ़े सात दशकों की स्वतंत्र भारत की यात्रा निश्चित ही एक विशिष्ट अवसर है. राष्ट्रीय ध्वज खादी भंडारों और अन्य केंद्रों के अलावा डाकघरों से प्राप्त किये जा सकते हैं. पिछले साल दिसंबर में मशीन से बने पॉलीस्टर, ऊन, सूती और रेशम के झंडे लगाने की अनुमति भी दी जा चुकी है. पहले केवल हाथ से बने खादी के तिरंगों के फहराने का नियम था. तिरंगे को फहराते समय राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए तथा फटे या तुड़े-मुड़े झंडे नहीं लगाये जाने चाहिए.



प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय

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