सम्पादकीय

कोरोना की तीसरी लहर आती भी है तो अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ने वाला उसका प्रभाव

Tara Tandi
27 Jun 2021 9:15 AM GMT
कोरोना की तीसरी लहर आती भी है तो अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ने वाला उसका प्रभाव
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भारत में अब कोरोना महामारी कमजोर होने लगी है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | संयम श्रीवास्तव | भारत में अब कोरोना महामारी कमजोर होने लगी है. दिन पर दिन कोरोना के केस कम होने लगे हैं. हालांकि, जानकार कोरोना की तीसरी लहर आने की भी बात करते हैं. आईआईटी के मैथमेटिकल मॉडल के हिसाब से देश में कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर से नवंबर के बीच आ सकती है. पहली लहर ने भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव डाला था, यहां तक की जीडीपी माइनस में चली गई थी. लेकिन दूसरी लहर, जो पहली लहर के मुकाबले ज्यादा भयावह थी, ने अर्थव्यवस्था पर उतना असर नहीं डाला था. यही कारण है कि अब विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती भी है तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर उसका ज्यादा असर नहीं होगा.

दरअसल इसके पीछे कई कारण हैं, पहला कारण तो यह कि जब कोई आपदा आती है तो दुनिया में उससे बचाव की चीजों की मांग बढ़ जाती है, इसकी वजह से अर्थव्यवस्था पर उतना असर नहीं पड़ता. जैसै की भारत फिलहाल अपने यहां दवाइयों से लेकर मेडिकल इक्विपमेंट्स का खूब प्रोडक्शन कर रहा है और दुनिया भर में एक्सपोर्ट कर रहा है. अप्रैल 2019 से अप्रैल 2021 में वृद्धि दिखाने वाले एक्सपोर्ट के प्रमुख वस्तु समूह लौह अयस्क, अनाज, इलेक्ट्रॉनिक सामान, ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स थे. मई 2021 में जो सरकारी आंकड़े सामने आए थे उनके अनुसार, भारत का निर्यात मई में 67.39 फीसदी बढ़कर 32.21 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया था. वाणिज्य मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान इंजीनियरिंग, दवा, पेट्रोलियम उत्पादों और रसायनों के निर्यात में खासतौर से तेजी देखी गई. पिछले साल मई में निर्यात 19.24 अरब अमेरिकी डॉलर और मई 2019 में यह 29.85 अरब अमेरिकी डॉलर था.
आरबीआई की तरफ से भी मिल रहे हैं शुभ संकेत
यहां तक की इस वित्त वर्ष के लिए 9.5 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर का भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान भी भविष्य के लिए अच्छा संकेत है. दरअसल भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि, 2021-22 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 9.5 फीसदी रहेगी. यह पहली तिमाही में 18.5, दूसरी तिमाही में 7.9, तीसरी तिमाही में 7.2 और चौथी तिमाही में 6.6 फीसदी रहेगी. इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर के 3.35 फीसदी और एमएसएफ दर और बैंक दर 4.25 फीसदी रहेगा. यहां तक की आरबीआई ने सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के लिए खुदरा मुद्रास्फीति दर का अनुमान 5.2 फीसदी लगाया है.
भारत ने पहली लहर और दूसरी लहर से बहुत कुछ सीखा है
जब भारत कोरोना की पहली लहर से जूझ रहा था तो उसने पूरे देश में लॉकडाउन लगा दिया, क्योंकि देश के पास कोरोना महामारी से निपटने का कोई रास्ता नहीं था. लेकिन उस लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी. इससे यह साफ हो गया कि अब लॉकडाउन नहीं लगाना है. जब कोरोना की दूसरी लहर भारत में आई तो केंद्र सरकार ने साफ कर दिया की वह देशव्यापी लॉकडाउन नहीं लगाएगी. जबकि यह लहर पहली लहर के मुकाबले ज्यादा भयावह थी और इसमें ज्यादा लोग संक्रमित हुए और मरे. केंद्र सरकार के इसी फैसले की वजह से काम धंधे चलते रहे और भारत की अर्थव्यवस्था पर उतना असर नहीं पड़ा. ऊपर से दूसरी लहर के समय देश में वैक्सीनेश भी शुरू हो गई थी. और जहां तक उम्मीद है कि तीसरी लहर आते-आते देश के अधिकतर लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी होगी.
बड़ी-बड़ी कंपनियों की स्थिति में सुधार हो रहा है
जो कंपनियां कोरोना की पहली लहर के समय गंभीर समस्या से जूझ रही थीं, अब उनकी स्थिति इतनी बेहतर हो गई है कि वह अपने कर्ज चुकाने लगी हैं जैसा की वह कोरोना के पहले किया करती थीं. 2020-21 की आरबीआई की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटी और बड़ी आकार की कंपनियों की ऋण भुगतान करने की क्षमता बढ़ी है. आरबीआई का कहना है कि 2020-21 की पहली तीन तिमाहियों में राजस्व में 11.6 फीसदी की कमी आई है और व्यय भी 15.2 फीसदी कम हो गया है. यहां तक कि कंपनियों का परिचालन मुनाफा भी सालाना आधार पर 7 फीसदी तक बढ़ा है.
एनपीए भी घटा है
बिज़नेस स्टैंडर्ड में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समय भारतीय बैंकों की पूंजी औसतन 15.9 फीसदी है. जबकि प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में यह 13.5 फीसदी है. फिलहाल बैंकों को न्यूनतम अनुपात 10.87 फीसदी रखना पड़ता है जो अक्टूबर में बढ़कर 11.5 फीसदी हो जाएगा. इसके बाद इस वर्ष बैंको का औसत प्रावधान सुरक्षा अनुपात भी 75.5 फीसदी रहा. इसका साफ मतलब है कि पहले जो ऋण वसूल नहीं हो पा रहे थे उनमें कमी आई है. दिसंबर 2020 में बैंकों के कुल आवंटित ऋण में एनपीए की हिस्सेदारी 6.8 फीसदी थी. जो 2017-18 के मुकाबले (11.2) फीसदी से काफी कम है.
बेरोजगारी दर भी पटरी पर आ रही है
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकॉनमी (CMIE) के सर्वे के अनुसार, मई 2020 में भारत में बेरोज़गारी दर 24 फीसदी थी, लेकिन जनवरी 2021 आते-आते यह घटकर 7 फीसदी हो गई. हालांकि जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो मई 2021 में यह बढ़कर 9 फीसदी हो गई. लेकिन पहली लहर के मुताबिक फिर बेरोजगारी दर कम थी क्योंकि इस बार देशव्यापी लॉकडाउन नहीं लगा था और लोगों के काम धंधे शुरू थे.


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