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विधानसभा चुनाव में अपराधियों और करोड़पतियों का दिखा दबदबा
आकाश गुलंकर।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गाइडलाइंस तय की है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने को प्रोत्साहित नहीं किया जाए, इसके बावजूद एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के विश्लेषण के मुताबिक राजनीतिक दलों (Political Parties) ने सभी पांच राज्यों – उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर – में ऐसे उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है.
आंकड़ों के मुताबिक इन राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया में एक और श्रेणी का बहुत प्रभाव रहा और वह है करोड़पति. राज्य विधानसभा चुनावों के कुल उम्मीदवारों में से करीब 41 फीसदी करोड़पति हैं यानी उनके पास 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. यह संख्या बताती है कि राज्य विधानसभा चुनावों में लगभग सभी राजनीतिक दलों द्वारा अमीर उम्मीदवार ही पहले चुने जाते हैं.
चाहे कोई भी राज्य हो, अपराधियों का स्वागत है
ADR की रिपोर्ट के अनुसार, पांच राज्यों में हुए मौजूदा विधानसभा चुनावों में हर चार में से एक उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. 6874 उम्मीदवारों में से कुल 1694 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ कम से कम एक आपराधिक मामला होने की घोषणा की है.
चार्ट 1: आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों का प्रतिशत
उत्तर प्रदेश और गोवा चुनावों में ऐसे उम्मीदवारों की संख्या (कुल में से 26 प्रतिशत) सबसे ज्यादा रही. रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में सबसे कम यानी 17 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों दर्ज हैं. इन राज्य विधानसभा चुनावों में औसतन लगभग 25 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है.
1694 में से 1262 उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं. गंभीर आपराधिक मामलों में मुख्य रूप से ऐसे अपराध शामिल हैं जो ग़ैर-ज़मानती हैं और जिनमें अधिकतम 5 साल या उससे अधिक की सजा होती है. इसमें 253 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ हत्या से संबंधित मामले दर्ज होने की बात स्वीकार की है जबकि 107 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं. इनमें वे 16 उम्मीदवार भी शामिल हैं जिनके खिलाफ इन विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन से पहले बलात्कार के मामले दर्ज थे.
आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या (पार्टी के हिसाब से)
ADR की रिपोर्ट के अनुसार, अगर अलग-अलग पार्टियों पर नजर डालें तो पता चलता है कि समाजवादी पार्टी (SP) ने आपराधिक मामलों वाले सबसे अधिक उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले समाजवादी पार्टी के 234 उम्मीदवारों पर आपराधिक केस दर्ज हैं. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने राज्य में 232 ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिए जबकि कांग्रेस के 228 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं.
बाकी पार्टियों में बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने 166 और आम आदमी पार्टी (AAP) ने 144 ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा. वहीं, पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) के 65 उम्मीदवार भी इसी श्रेणी में आते हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि अपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की तादाद स्थानीय और क्षेत्रीय राजनीतिक संगठनों की तुलना में राष्ट्रीय दलों में ज्यादा हैं.
करोड़पति: चुनावी उम्मीदवारों के बीच एक और अहम समूह
ADR के अनुसार पांचों राज्यों के विधानसभा चुनावों में कुल 2836 करोड़पति उम्मीदवार मैदान में थे जो कि विधानसभा चुनावों में कुल उम्मीदवारों की तादाद का लगभग 41 प्रतिशत हैं. इसका सीधा सा मतलब है कि विधानसभा चुनाव के इस नए दौर में तीन में से एक उम्मीदवार करोड़पति है.
परसेंटेज के हिसाब से गोवा में करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या सबसे ज्यादा रही. इस दक्षिणी राज्य में 62 फीसदी (301 में से 187) करोड़पति उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. वहीं, मणिपुर में आधे से अधिक उम्मीदवार (265 में से 143) करोड़पति थे. पंजाब और उत्तराखंड जैसे उत्तरी राज्यों में लगभग 40 फीसदी करोड़पति मैदान में थे. जबकि 2022 के चुनावों में सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 39 फीसदी करोड़पति उम्मीदवर विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे. ADR की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में करोड़पति उम्मीदवारों की तादाद 1733 थी और यह संख्या बाकी चार राज्यों के सभी करोड़पति उम्मीदवारों की कुल संख्या से ज्यादा है. मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में कुल मिलाकर ऐसे 1103 उम्मीदवार मैदान में थे.
विधानसभा चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों का प्रतिशत (पार्टी के हिसाब से)
ADR रिपोर्ट से पता चलता है कि अधिकांश बड़े और क्षेत्रीय दलों के कम से कम आधे उम्मीदवार करोड़पति थे. पंजाब से क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) का लगभग हर उम्मीदवार करोड़पति था. चुनावी हलफनामों के अनुसार, पार्टी ने 96 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिनमें से 89 करोड़पति थे. राष्ट्रीय दलों में भाजपा के पास करोड़पतियों की सबसे अधिक संख्या थी. भाजपा के कुल उम्मीदवारों में से 87 फीसदी करोड़पति थे. राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और नागा पीपल्स फ्रंट (NPF) जैसे क्षेत्रीय दलों में 80 प्रतिशत से ज्यादा करोड़पति उम्मीदवार थे.
सपा के चार में से तीन उम्मीदवार करोड़पति थे जबकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में बसपा के करोड़पति कैंडिडेट का अनुपात भी समान था. सभी पांच राज्यों को मिलाकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के 60 प्रतिशत से अधिक उम्मीदवार करोड़पति थे. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में पहली बार भाग लेने वाली पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) के पास भी लगभग आधे करोड़पति कैंडिडेट थे. सटीक तादाद की बात करें तो सभी पांच राज्यों को मिलाकर भाजपा के सबसे ज्यादा (534) करोड़पति उम्मीदवार मैदान में थे. 423 ऐसे उम्मीदवारों के साथ कांग्रेस नंबर दो पर रही, वहीं तीसरे नंबर पर रहने वाली बसपा से ऐसे 349 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं.)
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