सम्पादकीय

समानता और स्वतंत्रता : परिवार में प्रताड़ित महिलाएं, इसकी सबसे बड़ी वजह है दकियानूसी सोच

Neha Dani
19 March 2022 1:50 AM GMT
समानता और स्वतंत्रता : परिवार में प्रताड़ित महिलाएं, इसकी सबसे बड़ी वजह है दकियानूसी सोच
x
जिसका बहुत बुरा असर बच्चों पर पड़ता है। नई पीढ़ी को बचाने के लिए महिलाओं को बचाना जरूरी है।

हमारे देश में महिलाओं के हित में अनेक कानून बने हैं, इसके बावजूद उन पर अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के खिलाफ होने वाली आपराधिक घटनाओं का आकलन करें, तो लगता है कि भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति बदतर है। दुनिया आधुनिक हो रही है, पर लोगों की सोच अब भी दकियानूसी और महिला विरोधी है। संविधान ने उन्हें बराबरी का अधिकार दिया है, लेकिन समाज उसकी समानता और स्वतंत्रता की राह में अड़चनें खड़ी कर रहा है।

घर के बाहर ही नहीं, घरों के भीतर भी महिलाएं महफूज नहीं हैं। आंकड़े बताते हैं कि अपने देश में हर 25 मिनट पर एक शादीशुदा महिला आत्महत्या कर रही है। वर्ष 2020 में आत्महत्या करने वाली कुल महिलाओं में शादीशुदा महिलाओं की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा थी। दुनिया भर में 15 से 39 साल के आयुवर्ग की महिलाओं में भारतीय महिलाओं की संख्या 36 फीसदी ज्यादा है। यह भयानक है, जिस पर समाज और सरकार को संवेदनशील होकर महिला सशक्तीकरण की दिशा में कारगर पहल करने की जरूरत है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, विवाहित महिलाओं में लगभग आठ फीसदी यौन हिंसा और 41 फीसदी महिलाएं अन्य विभिन्न प्रकार की हिंसा और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार होती हैं। जानकार बताते हैं कि महिलाओं की आत्महत्या का एक बड़ा कारण घरेलू हिंसा है। एक सर्वे के अनुसार, 30 फीसदी महिलाओं के साथ उनके पति या ससुराल के अन्य रिश्तेदार द्वारा विभिन्न तरीके से हिंसा की जाती है।
विगत फरवरी के मात्र एक पखवाड़े में ही घटी विभिन्न घटनाओं को देखें, तो ऐसी अनेक घटनाएं सामने आती हैं, जिनमें पति और ससुराल के अन्य लोगों के बर्बर अत्याचार से किसी महिला की जान चली जाती है, तो कोई खुद आत्महत्या करने पर विवश हो जाती है। अहमदाबाद की एक युवती को शादी के बाद उसका पति पोलैंड ले गया, जहां उसे पता चला कि उसका पति शराबी और बदचलन है। युवती ने जब इस पर आपत्ति जताई, तो दो फरवरी को पति ने उसके साथ मारपीट की और उसे मायके में छोड़ वापस पोलैंड चला गया।
सात फरवरी को उत्तर प्रदेश में मैनपुरी के करीमगंज में खाना बनाने को लेकर एक महिला को उसके पति ने बुरी तरह मारा-पीटा। हालांकि बाद में पति गिरफ्तार हुआ। 11 फरवरी को पश्चिम बंगाल के आसनसोल में एक व्यक्ति ने किसी बात पर गुस्से में अपनी पत्नी को जिंदा जला दिया। 14 फरवरी को पंजाब के फरीदकोट में एक व्यक्ति ने घरेलू कलह के कारण अपनी पत्नी को मारा-पीटा और अंत में गला दबाकर उसकी हत्या कर दी।
15 फरवरी को ग्वालियर में पत्नी को उसके पति ने मारपीट कर बुरी तरह घायल कर दिया और उसे बचाने आई बुआ को भी लात-घूंसों से पीटकर लहूलुहान कर दिया। उसी दिन गुजरात के अहमदाबाद में एक महिला ने थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उसके पति ने उसे तलाक दे दिया है, क्योंकि उसने अपने पति को दूध देने से पहले अपने बच्चों को दे दिया था। 16 फरवरी को पंजाब के लुधियाना के गांव बुलारा में विवाहित महिला की बर्बर हत्या के आरोप में पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर मृतका के पति, ससुर व जेठ को हिरासत में लिया गया है।
पंजाब में ही 17 फरवरी को कुछ महीने बाद ससुराल लौटी महिला की हत्या उसके पति ने कर दी। ये कुछेक घटनाएं हैं, जिनकी रिपोर्ट दर्ज हुई, अन्यथा अपने देश के विभिन्न इलाकों में घरों में लाखों महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा होती रहती है। सामान्यतः महिलाएं लोक-लाज और अपने व बच्चों के भविष्य की खातिर तमाम उत्पीड़न सहती रहती हैं और जिस दिन सहना मुश्किल होता है, अपनी जिंदगी की कहानी खत्म कर लेती हैं।
यह स्थिति तब है, जब अपने देश में महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा से निपटने के लिए कानून हैं। जाहिर है, उन कानूनों पर सही तरीके से अमल नहीं हो पा रहा है। नतीजा, घर को स्वर्ग बनाने में लगी महिलाओं के लिए उनका ही घर नरक बनता जा रहा है, जिसका बहुत बुरा असर बच्चों पर पड़ता है। नई पीढ़ी को बचाने के लिए महिलाओं को बचाना जरूरी है। (सप्रेस)

सोर्स: अमर उजाला


Next Story