सम्पादकीय

मुआवजे के हकदार

Subhi
17 Nov 2022 5:43 AM GMT
मुआवजे के हकदार
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क्योंकि पहले की बैठकों में ज्यादातर ध्यान भविष्य में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी और कार्बन उत्सर्जन में कैसे कटौती की जाए, इस पर ही केंद्रित किया जाता रहा था। चूंकि पहले के सम्मेलनों में केवल बातें ही हुर्इं, ठोस काम कुछ नहीं हुए। इसलिए नतीजे भी सामने नहीं आए।

Written by जनसत्ता: क्योंकि पहले की बैठकों में ज्यादातर ध्यान भविष्य में होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारी और कार्बन उत्सर्जन में कैसे कटौती की जाए, इस पर ही केंद्रित किया जाता रहा था। चूंकि पहले के सम्मेलनों में केवल बातें ही हुर्इं, ठोस काम कुछ नहीं हुए। इसलिए नतीजे भी सामने नहीं आए।

इस बार प्राकृतिक ,आपदाओं के कारण कई देशों ने नुकसान की भरपाई की मांग शुरू कर दी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने विश्व बिरादरी से उनके यहां आई सर्वाधिक भयावह बाढ़ के लिए तीस अरब डालर के मुआवजे की मांग कर डाली। साथ ही पाकिस्तान को दिए गए सभी प्रकार के कर्जों में राहत देने की भी मांग की।

वाकई पाकिस्तान को यह मदद मिलनी चाहिए, क्योंकि मानवीय इतिहास की इतनी भयानक बाढ़ शायद ही दक्षिण एशिया में कभी आई हो। देश का अस्सी फीसद हिस्सा जलमग्न हो गया था। हजारों लोग मारे गए। लाखों बेघर हो गए। मवेशियों का भी भारी नुकसान हुआ। कई बांध टूट गए। आखिर इसके लिए पाकिस्तान का क्या कसूर था? दूसरे देशों के सामने भी ऐसे ही संकट हैं।

इसलिए गरीब देशों ने पहली बार मुआवजे की मांग उठाई। सवाल तो इस बात का है कि अमीर देशों के कार्बन उत्सर्जन का खामियाजा गरीब देश क्यों भुगतें? अगर हम अब भी जलवायु परिवर्तन को लेकर नहीं चेते तो आने वाले वर्षों में पाकिस्तान जैसा हालत दर्जनों देशो का होने वाला है।

दिल्ली के बहुचर्चित छावला सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा पा चुके तीन दोषियों को जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया, उससे हर कोई स्तब्ध है। यह प्रसंग हमारी पूरी न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस दिल दहला देने वाली घटना को अंजाम देने के बाद भी आज अपराधी खुली हवा में सांस ले रहे हैं। सवाल तो इस बात का है कि आखिर किसी ने तो इस कांड को अंजाम दिया।

यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े करता है। आखिर कैसे पुलिस ने जांच की? इससे तो ऐसे अपराधियों का मनोबल और बढ़ेगा। अपराधियों को लगेगा कि कानून उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। भारत भले तमाम तरह की तरक्कियों के दावे करता रहे, लेकिन हकीकत यह है कि हमारा समाज, न्याय व्यवस्था, पुलिस आदि सब सनालों के घेरे में हैं।


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