सम्पादकीय

‘जीवंत लोकतंत्र’ का इंजन

Rani Sahu
7 Jun 2023 7:08 PM GMT
‘जीवंत लोकतंत्र’ का इंजन
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By: divyahimachal
भारत और अमरीका के बीच लड़ाकू विमान के इंजन का सह-उत्पादन करने की सहमति हुई है। ऐसे इंजन न केवल भारत में बनाए जा सकेंगे, बल्कि अमरीका 100 फीसदी प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण भी करेगा। दोनों देश प्रधानमंत्री मोदी के अमरीका-प्रवास के दौरान औपचारिक करार पर दस्तखत करेंगे। दुनिया में सिर्फ चार देश-अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस-ही अपने लड़ाकू विमानों के लिए इंजन का उत्पादन करने में सक्षम हैं। चीन ने रूस की ही तकनीक को पलट कर इंजन बनाने की कोशिश की है। भारत-अमरीका करार और इंजन जीई-एफ 414 का उत्पादन शुरू होने के बाद हम भी इस जमात में शामिल हो जाएंगे। यकीनन इससे भारत की वायुसेना और उसकी सामरिक शक्ति मजबूत होगी। सिर्फ इसी उदाहरण से समझा जा सकता है कि भारत और अमरीका कितने रणनीतिक साझेदार हैं और सैन्य स्तर पर भी आपसी सहयोग से शक्ति का विस्तार किया जा सकता है। इस करार से यह भी समझ लेना चाहिए कि अमरीका ने भारत के प्रधानमंत्री को आमंत्रण क्यों दिया है? और राजकीय रात्रि-भोज का आयोजन भी क्यों किया जा रहा है? बेशक अमरीकी जमीन से ऐसे आरोप भी लगते रहे हैं कि भारत में अल्पसंख्यक, खासकर मुसलमान, खतरे या संकट में हैं। उनके मानवाधिकार पर प्रहार किए जाते रहे हैं। इसी आशय का सवाल ‘व्हाइट हाउस’ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में, एक मुस्लिम महिला पत्रकार ने, पूछा था, तो अमरीकी प्रवक्ता एवं राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में समन्वयक जॉन किर्बी ने बेहद सटीक जवाब दिया-‘भारत में जीवंत लोकतंत्र है। आप दिल्ली जाइए और खुद ही देख-महसूस कर लीजिए।’ उन्होंने स्पष्ट टिप्पणी की कि भारत अमरीका का सबसे भरोसेमंद, रणनीतिक साझेदार है। वह ‘क्वाड’ में भी अमरीका का साथी है।
यह संगठन हिन्द-प्रशांत महासागर क्षेत्र की रणनीति और सक्रियता पर निगाह रखता है, ताकि चीन की दादागीरी पर अंकुश रखा जा सके। लड़ाकू विमान के इंजन-उत्पादन का करार भी इसीलिए हो रहा है, क्योंकि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है। ‘तेजस’ भारत का स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान है, लेकिन उसका स्वदेशी इंजन तकनीकी जरूरतों पर उतना सफल नहीं रहा है, जितनी अपेक्षा की जाती रही है। ‘तेजस मार्क-1’ लड़ाकू विमानों में अमरीकी इंजन ही इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन भारत फिलहाल इसे खरीद रहा है। प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण अभी नहीं हो पा रहा है। करार और उत्पादन शुरू होने के बाद ‘तेजस’ के लिए ये इंजन सस्ते पड़ेंगे और तुरंत उपलब्ध होंगे। भारत के लोकतंत्र पर स्पष्टीकरण देने की हम जरूरत नहीं समझते, क्योंकि भारत सबसे प्राचीन और लोकतांत्रिक सभ्यता और संस्कृति वाला राष्ट्र है। भारत ‘लोकतंत्र की मां’ है, यह शेष विश्व भी मानता है, लिहाजा जापान, ऑस्टे्रलिया, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन सरीखे बड़े देशों के लिए भी भारत सबसे महत्त्वपूर्ण ‘रणनीतिक मित्र’ है। अमरीकी इंजन और प्रौद्योगिकी का करार भारत को सैन्य और औद्योगिक स्तर पर भी आत्मनिर्भर बना सकता है। बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत पिछड़ा देश नहीं रह सकता। कमोबेश चीन जैसे पड़ोसी देश की हरकतों और मंसूबों के मद्देनजर भारत की सेना को आधुनिकतम किया जाना जरूरी है। उसके लिए ऐसे इंजन का उत्पादन सहायक साबित हो सकता है। दरअसल भारत के लोकतंत्र को जो कोसते हैं और खत्म मानते हैं, कमोबेश वे लोकतंत्र के जरिए ही सियासत और सत्ता में मौजूद हैं। लोकतंत्र किसी प्रधानमंत्री या पार्टी तक ही सीमित नहीं है। यदि अमरीका आज हमसे करार कर रहा है या हमें ‘रणनीतिक दोस्त’ बनाए रखना चाहता है, तो यह भारत राष्ट्र की ताकत है। भारत दुनिया का सबसे विशाल लोकतांत्रिक बाजार है। विश्व के देश चीन की तुलना में भारत को पसंद कर रहे हैं, तो साफ मायने हैं कि भारत में हर स्तर पर लोकतंत्र है।
Rani Sahu

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