- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- उत्साहजनक कर संग्रह
x
भले ही साल के अंत में कोरोना महामारी ने नयी चिंताएं पैदा कर दी हैं, पर 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर
भले ही साल के अंत में कोरोना महामारी ने नयी चिंताएं पैदा कर दी हैं, पर 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आती दिखी. इसका एक बड़ा प्रमाण रिकॉर्ड कर संग्रहण के रूप में हमारे सामने है. बड़ी संख्या में लोगों ने भी अपनी आमदनी का लेखा-जोखा जमा कराया है. आयकर विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 4.86 करोड़ से अधिक लोगों ने आयकर ब्यौरा पेश किया है. महामारी की वजह से ब्यौरा देने की आखिरी तारीख बढ़ाकर 31 दिसंबर करने से भी लोगों को फायदा हुआ है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के लिए ऑनलाइन सुविधाओं का असर भी दिख रहा है. इससे लोगों को सहूलियत भी हुई है और पारदर्शिता भी बढ़ी है. वित्त वर्ष 2021-22 में प्रत्यक्ष करों के सकल संग्रहण में 60 फीसदी से अधिक की वृद्धि इंगित करती है कि आमदनी और कारोबार में अच्छा सुधार हुआ है.
अग्रिम कर संग्रहण 16 दिसंबर तक करीब 4.60 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर रहा है, जबकि कुल संग्रहण 9.45 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है. इसमें करीब 5.16 लाख करोड़ रुपये कारपोरेशन कर के रूप में और व्यक्तिगत आयकर 4.30 लाख करोड़ रुपये के आसपास है. इसी अवधि में 2020-21 में यह आंकड़ा 5.87 लाख करोड़ रुपये ही रहा था, जो महामारी के कारण लगी पाबंदियों के असर को रेखांकित करता है. इस साल भी वित्त वर्ष की शुरुआत कोरोना की दूसरी लहर के साथ हुई थी, पर कारोबारी गतिविधियों पर इसका असर अपेक्षाकृत कम रहा क्योंकि पाबंदियों को अधिक व्यावहारिक ढंग से लागू किया गया था. साथ ही, टीकाकरण अभियान से भी बड़ी मदद मिली. प्रत्यक्ष करों के साथ अप्रत्यक्ष करों के संग्रहण पर भी इसके सकारात्मक प्रभाव दिखे हैं.
नवंबर में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रहण 1.31 लाख करोड़ रुपये हुआ, जो किसी भी महीने में हुआ दूसरा सबसे बड़ा संग्रहण था. अप्रैल में यह आंकड़ा सर्वाधिक 1.40 लाख करोड़ रुपये रहा था. नवंबर, 2020 की तुलना में यह लगभग 25 फीसदी अधिक था. अक्तूबर में भी लगभग इतनी ही राशि एकत्रित हुई थी. उल्लेखनीय है कि इस वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.4 फीसदी रही थी और बाद के महीनों में बाजार में मांग व खरीद बढ़ने से तीसरी तिमाही के नतीजे में अच्छे होने की उम्मीद है.
इस साल निर्यात में भी बड़ी प्रगति हुई है और वित्त वर्ष के अंत तक इसके 400 अरब डॉलर होने की पूरी उम्मीद है. इस कारण भी जीएसटी में इस वर्ष लगातार अच्छा संग्रहण हो रहा है. पिछले साल जब अर्थव्यवस्था संकट से गुजर रही थी, तब सरकार की ओर से कल्याणकारी योजनाओं में बड़े खर्च के साथ हर स्तर पर उद्यमियों व उद्योगों को राहत देने के लिए कई तरह की पहलें हुई थीं. उनके सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं और आशा है कि नये साल में भी आर्थिक विकास की गति बनी रहेगी.
प्रभात खबर
Next Story