सम्पादकीय

वृद्धि के लिए सुधारों को प्रोत्साहित करें, सरकार इन दिनों तेजी से आर्थिक सुधारों में लगी है, जो उत्साहजनक है

Rani Sahu
23 Sep 2021 6:30 PM GMT
वृद्धि के लिए सुधारों को प्रोत्साहित करें, सरकार इन दिनों तेजी से आर्थिक सुधारों में लगी है, जो उत्साहजनक है
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कोरोना टीकाकरण कार्यक्रम, पंजाब मुख्यमंत्री संकट और आगामी उप्र चुनाव अभियान की शुरुआत की पृष्ठभूमि में आर्थिक सुधार की दिशा में हो रहे कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को नजरअंदाज करना आसान है

चेतन भगतकोरोना टीकाकरण कार्यक्रम, पंजाब मुख्यमंत्री संकट और आगामी उप्र चुनाव अभियान की शुरुआत की पृष्ठभूमि में आर्थिक सुधार की दिशा में हो रहे कुछ महत्वपूर्ण कार्यों को नजरअंदाज करना आसान है। पिछले कुछ महीनों से सरकार सुधारों को लेकर आक्रामक है, जो हालिया नीतिगत बदलाव से स्पष्ट है। इसे प्रोत्साहित करना चाहिए। कोविड के बाद या यूं कहें कि महामारी के साथ जीने के इस दौर में भारत के लिए अपनी आर्थिक वृद्धि को गति देने के बड़े अवसर हैं। यह वृद्धि रोजगार संकट को खत्म कर, आय को बढ़ा सकती है।

चार उल्लेखनीय सुधार, जिन्हें कुछ ही हफ्तों में लागू किया गया, बताते हैं कि अब ध्यान सुधार आधारित एजेंडा पर है। पहला था 9 अगस्त 2021 को राज्यसभा में कराधान कानून संशोधन विधेयक, 2021 का पारित होना। इसका निवेशकों और कॉर्पोरेट समुदाय ने स्वागत किया है।
यह दुर्लभ है कि सरकार स्वेच्छा से ऐसी चीज पर हस्ताक्षर करे जो उसकी शक्ति कम करता हो। इस संशोधन से निजी कंपनियों के प्रति नए दृष्टिकोण का संकेत मिलता है। दूसरी बड़ी घोषणा 23 अगस्त 2021 को हुई, जब सरकार ने संपत्ति मुद्रीकरण (एसेट मोनेटाइजेशन) कार्यक्रम की घोषणा की।
कार्यक्रम का उद्देश्य निजी कंपनियों को स्वामित्व का हस्तांतरण किए बिना, तय अवधि के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्ति के इस्तेमाल की अनुमति देकर 6 लाख करोड़ रुपए जुटाना है। इसकी मंशा अच्छी है कि निजी क्षेत्र की प्रभावशीलता सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों को चलाने में इस्तेमाल हो और सरकार को बिना पूर्ण निजीकरण किए पैसा मिल सके।
यह सुधार बताता है कि सरकार निजी क्षेत्र के साथ काम करना चाहती है, उसके खिलाफ नहीं। तीसरा, सरकार ने 15 सितंबर को टेलिकॉम क्षेत्र के लिए बड़े सुधार की घोषणा की। इनमें कंपनियों के लिए वैधानिक देय राशि का भुगतान करने के लिए चार साल की मोहलत, राजस्व की परिभाषा बदलना, जिसपर कर का भुगतान किया जाता है, स्वचालित तरीकों से 100% निवेश की अनुमति और स्पेक्ट्रम साझा करने की अनुमति शामिल है।
इन सुधारों का उद्देश्य टेलिकॉम सेक्टर की कंपनियों को तुरंत राहत देना है, जिनमें से कुछ भारी कर्ज में डूबी हैं। यहां भी निजी क्षेत्र के लिए सरकार का बदलता रवैया दिखता है। चौथा, सरकार एयर इंडिया की बिक्री की डील को लेकर काफी उत्साहित लग रही है। सभी पिछली सरकारें एयर इंडिया के बड़े कर्ज और अन्य देनदारियों का रोना रोती रही हैं। कई ने इसे बेचने की योजनाएं बनाईं। हालांकि, पिछली सरकारों की अनुचित उम्मीदों के कारण डील नहीं हो सकीं।
इस बार ऋण गारंटी और ट्रांसफर के साथ सरकार टाटा और स्पाइसजेट से दो वास्तविक बोलियां पाने में सफल रही। घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन को बेचना अच्छे समय में भी चुनौतीपूर्ण होता है, ऐसे में महामारी के बीच इसे बेच पाना बड़ी जीत होगी। उम्मीद है कि डील सफल होगी।
ऐसी सिर्फ चार घोषणाएं नहीं हैं जो सुधार के प्रति झुकाव बताती हैं। सुधार गतिविधियों से भी आता है। बड़ी और महत्वाकांक्षी इंफ्रास्ट्रक्टर योजनाएं (जैसे दिल्ली-मुबंई एक्सप्रेसवे) भी सुधार हैं। सभी सरकारी विभागों में डिजिटाइजेशन और ऑनलाइन सेवाओं की परियोजनाएं भी सुधार मानी जाएंगी। बेशक, सफर लंबा है। लेकिन रुझान सकारात्मक है। अब सरकार से जुड़े ज्यादा से ज्यादा लोग क्यूआर कोड समझते हैं और दस्तावेज अपलोड करते हैं।
अगर चार बड़ी सुधार घोषणाएं पिछले 6 हफ्तों में हो सकती हैं तो तय है कि आगे और भी सुधार होंगे। हमें उन्हें बढ़ावा देना चाहिए। जैसे सरकार के चाटुकारों में सरकार के हर कार्य की तारीफ करने की प्रवृत्ति होती है, शायद वैसे ही सरकार के विरोधियों में सरकार के हर कदम की निंदा और आलोचना करने की प्रवृत्ति होती है।
सोशल मीडिया का ध्रुवीकरण इसे और बढ़ा देता है। जबकि हर किसी को अपनी राय का अधिकार है, हम सभी भारतीयों को इस बात पर एकमत होना चाहिए कि हमें और अधिक आर्थिक सुधारों की जरूरत है। इसका मतलब यह नहीं कि हर घोषित सुधार पर्फेक्ट है और उसमें कोई जोखिम नहीं है। उनकी सफलता क्रियान्वयन पर भी निर्भर होगी। उदाहरण के लिए संपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम पर अभी और स्पष्टता की जरूरत है। हालांकि कुलमिलाकर दृष्टिकोण सुधारों को प्रोत्साहित करने वाला होना चाहिए।
कई बार हम राजनीति के नाम पर हर सुधार को निजी क्षेत्र के लिए बिकाऊ होना बताने लगते हैं। यह गलत है। जब कोई सरकार नागरिकों के लिए कल्याणकारी योजना बनाती है, तो वह नागरिकों को 'बेचती' नहीं है। इसी तरह, जब सरकार निजी क्षेत्र की परवाह करती है, तो मुख्य रूप से उसका उद्देश्य नागरिकों के लिए आय-रोजगार बढ़ाना होता है। इसलिए इसे प्रोत्साहित करें।
वृद्धि-समृद्धि का स्वागत हो
लगभग सभी आर्थिक सुधारों में सरकार का निजी क्षेत्र के साथ काम करना या उसकी देखभाल करना शामिल होगा। इसके बदले में हमारी पूरी अर्थव्यवस्था की देखभाल होगी, जिसका लाभ नागरिकों को मिलेगा। अगर हम यह समझ जाएं तो हम आर्थिक सुधारों के मौजूदा अभियान की सराहना करेंगे, उसे प्रोत्साहित कर सकते हैं। भारत में वृद्धि और समृद्धि का हर हाल में स्वागत होना चाहिए।


Rani Sahu

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