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- शिक्षकों का सशक्तिकरण
सुशील कुमार सिंह: स्कूल की स्थिति, शिक्षकों का वेतन, कार्य करने के घंटे, उनका व्यावसायिक अवलोकन, प्रशिक्षण और साथ ही शिक्षा के प्रति आकर्षण को बरकरार बनाए रखना शिक्षक सशक्तिकरण के प्रमुख घटक हैं। उच्च शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की गुणवत्ता कहीं अधिक गिरावट के साथ इसलिए भी है क्योंकि शिक्षा के निजीकरण में पेशेवर शिक्षकों के बजाय सस्ते शिक्षकों को अधिक अवसर दिया जा रहा है।
शिक्षकों की प्रभावशीलता का अंतिम परीक्षण यह है कि उनके द्वारा पढ़ाए गए विद्यार्थी अपनी शैक्षिक क्षमता तक पहुंचने में सक्षम हैं या नहीं। मात्रा, गुणवत्ता और समता के संघर्ष में शिक्षा और शिक्षक को बदलने के लिए शिक्षकों की ही भूमिका महत्त्वपूर्ण है। हालांकि सरकार की नीतियों और उनके सशक्त क्रियान्वयन से अनुकूल बदलाव संभव होते हैं, मगर बिना सशक्त शिक्षक के व्यावहारिक दक्षता संभव नहीं है।
शिक्षकों के सशक्तिकरण से राह न केवल चौतरफा खुलती है, बल्कि अंत्योदय से लेकर सर्वोदय तक की भावना का भी आभामंडल इसमें शुमार होता है। रिपब्लिक और प्लेटो पर टिप्पणी करते हुए बार्कर ने लिखा है कि प्लेटो जिस सवाल का जवाब खोज रहे थे, वह बस इतना था कि आदमी अच्छा कैसे बन सकता है? हालांकि इस सवाल के जवाब में न्याय, सौंदर्य और गुणों का समावेशन निहित है, मगर इन सभी को प्राप्त करने के लिए शिक्षा ही अनिवार्य है जो बिना सशक्त और कुशल शिक्षक के संभव नहीं हो सकती।