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- रोजगार की परीक्षा या...
मैं एक परीक्षार्थी युवा बोल रहा हूं। मैंने अभी हाल ही में हुई पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती की परीक्षा दी थी, लेकिन कल पता चला वो तो स्थगित हो गई है। मैं सोच रहा था अब क्या करूंगा क्योंकि परीक्षाओं के स्थगित होने का दौर तो यह निरंतर चलता ही जा रहा है। हिमाचल प्रदेश एक ऐसा प्रदेश जिसे देश के शिक्षित व सबसे अधिक साक्षर राज्यों की सूची में एक अच्छे स्थान पर सुसज्जित होने का सौभाग्य प्राप्त है, लेकिन वर्तमान दौर में न जाने इस राज्य के लोगों में ऐसी क्या मनोवृत्ति आन पड़ी है कि युवा परीक्षाओं में नकल और अक्ल के बीच नकल का सहारा ले रहे हैं। नकल से कहीं आगे बढ़ते हुए यहां तक कि लाखों में प्रश्न पत्र ही खरीद किए जा रहे हैं जिससे प्रतीत होता है कि लोगों की मनोस्थिति किस प्रकार की है। हिमाचल प्रदेश में पिछले लगभग दो-तीन वर्षों से जो भी रोजगार भर्ती परीक्षाएं हुई हैं, वे सब केस में फंस कर स्थगन की बलि चढ़ी हैं। चाहे जेओए की भर्ती हो, इससे पहले कई अन्य भर्तियां हों या अब पुलिस भर्ती हो, इन सब परीक्षाओं को पास कर कई युवाओं ने नौकरी के सपने देखे थे, लेकिन इन सपनों पर मानो ग्रहण सा लग गया हो। कुछ एक की वजह या कहें तो प्रशासन के ढिलमुल रवैये से सभी भर्तियां ऐसे ही केस के फेर में फंसती नजर आती हैं जिस पर सरकार को कडे़ निर्णय लेकर जो ऐसे कृत्य करते पकड़े जाते हैं, उन्हें अगली बार किसी भी परीक्षा में बैठने से वंचित कर देना चाहिए ताकि कोई ऐसी मंशा भी रखता है कि जुगाड़ तंत्र से परीक्षा पास हो जाएगी, वो ऐसा सोचने से पूर्व सौ दफा सोचेगा। हिमाचल प्रदेश में अभी मंडी जिला के सुंदरनगर में हुई जूनियर ऑफिस असिस्टेंट परीक्षा के पेपर लीक होने की जांच चल ही रही थी कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश में हुई पुलिस की लिखित परीक्षा भी रद्द कर दी गई है जिससे लाखों युवाओं की आशाओं पर निराशा का विराम प्रतीत होता है।