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- पर्यावरण संरक्षण से...

आज जरूरत इस बात की है कि पर्यावरण रक्षा के कार्यों को इस तरह आगे बढ़ाया जाए कि उनके साथ मेहनतकश लोगों व कमजोर वर्गों के हित भी जुड़ जाएं। यदि ऐसा संभव हो तो पर्यावरण रक्षा और आजीविका की रक्षा इन दोनों सार्थक उद्देश्यों का आपस में समन्वय हो जाएगा। पर्यावरण भी बचेगा और गरीबी भी कम होगी। पर यदि इन दोनों उद्देश्यों का आपस में टकराव बढ़ा दिया गया तो देश की समस्याओं को सुलझाना और कठिन हो जाएगा। हमारे देश में प्रायः कमजोर वर्गों पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में यह आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने किसी अन्य उपयोग के लिए रखी गई भूमि पर अतिक्रमण कर लिया है। इस आधार पर कठिनाई से रोजी-रोटी चला रहे लोगों को हटने को कहा जाता है। पर यह नहीं पूछा जाता है कि कितना अन्याय और कष्ट सहकर लोगों ने तथाकथित अतिक्रमण वाले स्थान को आवास या आजीविका के अनुकूल बनाया है। अनेक क्षेत्रों में आदिवासियों व वनों के आसपास रहने वाले अन्य परिवारों को कहा जाता है कि वे वन-भूमि पर खेती कर रहे हैं और उन्हें हटना पड़ेगा…