सम्पादकीय

रोजगार की डिवाइस

Rani Sahu
26 Sep 2021 6:58 PM GMT
रोजगार की डिवाइस
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यह वाकई ग्राउंड ब्रेकिंग है कि हिमाचल को केंद्र की सौ करोड़ की ग्रांट के साथ

यह वाकई ग्राउंड ब्रेकिंग है कि हिमाचल को केंद्र की सौ करोड़ की ग्रांट के साथ, मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित करने का तोहफा मिला है। केंद्र से हिमाचल के रिश्तों का पुख्ता सबूत बनकर आया यह प्रस्ताव रोजगार के तराने पेश करेगा। नालागढ़ क्षेत्र में स्थापित होने वाला मेडिकल डिवाइस पार्क दस हजार लोगों के लिए रोजगार से लबालब संदेश है, जिसके लिए 265 एकड़ भूमि का आबंटन किया जा रहा है। इससे हिमाचल के दवाई उद्योग को और सशक्त होने का अवसर तथा राष्ट्रीय स्तर पर फार्मा हब के रूप में प्रतिष्ठित होने की संभावना बढ़ेगी। इसके साथ ऊना में प्रस्तावित बल्क ड्रग पार्क को भी केंद्र सरकार की हरी झंडी मिल जाती है, तो हिमाचल फल राज्य के साथ दवाई राज्य भी बन जाएगा। यह दीगर है कि गुणवत्ता के लिहाज से हिमाचल में बन रही दवाइयों से प्रमाणिक शिकायतें मिल रही हैं और इस लिहाज से विभागीय चौकसी भी बढ़नी चाहिए। ड्रग्स कंट्रोल सिस्टम को एक नए आधार पर साथ ही साथ विकसित करना होगा ताकि 'मेक इन हिमाचल' अपनी ब्रांड वैल्यू के साथ विश्वसनीयता के मानदंड स्थापित करे। स्वाभाविक रूप से अब वर्षों की तपस्या के बाद हकीकत में यह परिवर्तन का भी संदेश है कि हिमाचल अपनी क्षमता से मेडिकल जगत को संबंधित उपकरण, दवाइयां और आगे चलकर दवाई उद्योग को वांछित सामग्री उपलब्ध करवा पाएगा।

मेडिकल डिवाइस पार्क जैसी परियोजनाओं के पीछे सियासी समीकरण व राज्यों के प्रति उमड़ती केंद्र सरकार की नजदीकियां भी रही हैं और इस दृष्टि से यह तोहफा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कर्मयोग में इजाफा करता है। उत्तराखंड, गुजरात व कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को बदलने के बाद भाजपा इस प्रकार की आशंकाओं से जयराम ठाकुर को मुक्त रखने का संदेश दे रही है, ताकि जब अगले साल हिमाचल के चुनाव में उतरे तो उसके मुख्यमंत्री के पास आलीशान रिपोर्ट कार्ड हो। जाहिर है प्रतीक्षारत ऊना का बल्क ड्रग पार्क अब चंद कदम दूर होगा। हिमाचल में अपनी सरकार के टर्निंग प्वाइंट पर खड़ी भाजपा की रणनीति आगे क्या गुल खिलाती है या केंद्र सरकार किस तरह अंतिम वर्ष की अंतिम नकदी के रूप में हिमाचल के भविष्य पर पुष्पवर्षा करती है, यह देखना बाकी है। दूसरी ओर हिमाचल का औद्योगिक विकास वर्षों से सोलन जिला के बीबीएन-नालागढ़ में ही ठिठक गया है, जबकि सबसे बड़े कांगड़ा, मंडी जैसे जिलों के अलावा हमीरपुर व प्रदेश के भीतरी जिलों में रोजगार से जुड़ा निवेश नहीं हो रहा है। उदाहरण के लिए पिछले कई वर्षों से कांगड़ा आईटी पार्क के सपने दिखाने और केंद्रीय योजना के स्वीकृत होने के बावजूद जमीन पर कुछ भी नहीं हुआ।
प्रदेश को यह भी तय करना है कि हिमाचल की शिक्षा किस तरह के रोजगार के प्रति युवाओं को प्रेरित कर रही है। क्वालिटी रोजगार की दृष्टि से हिमाचल आईटी क्षेत्र की सबसे बड़ी संभावनाएं रेखांकित कर सकता है, बशर्ते पूरे प्रदेश में कम से कम आधा दर्जन आईटी पार्क स्थापित करें और इन्हें कुल्लू, चंबा, कांगड़ा, मंडी व शिमला जैसे भीतरी जिलों की परिधि में देखा जाए। प्रदेश ने पिछले कुछ सालों में सैकड़ों आईटी प्रोफेशनल तैयार किए, लेकिन यह सामर्थ्य बेंगलूर, चंडीगढ़, दिल्ली, पुणे, हैदराबाद या चेन्नई के लिए ही निर्यात हो रहा है। ऐसे में प्रदेश को ऐसे उद्योगों व निवेश क्षेत्रों को चिन्हित करते हुए माकूल अधोसंरचना विकसित करनी चाहिए, जहां हिमाचली युवा की स्वाभाविक उत्कंंठा पूरी हो सके। मसलन अगर मेडिकल डिवाइस पार्क और बल्क ड्रग पार्क स्थापित हो रहे हैं, तो आज से ही शिक्षा व प्रशिक्षण का रुख इस दिशा की ओर मोड़ना होगा। प्रदेश के अहम शिक्षण संस्थानों को फार्मा व अन्य औद्योगिक संबंधित शिक्षा व प्रशिक्षण के रूप में भी स्थापित करना होगा, ताकि युवा प्रेरणा के संपर्क, संबंध व क्षमता पूरी तरह पल्लवित व पुरस्कृत हो सके। बहरहाल मेडिकल डिवाइस पार्क हिमाचल के औद्योगिक विकास को एक नई सफल कहानी से जोड़ रहा है। ऐसी परियोजनाओं के लिए प्रदेश को निरंतर प्रयास करने होंगे, लेकिन सियासत के द्वंद्व अकसर खरे को भी खोटा बना देते हैं, जैसे कि नादौन में स्पाइस पार्क की महत्त्वाकांक्षी परियोजना खुर्द-बुर्द हो गई।

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