सम्पादकीय

टीके पर जोर

Subhi
25 March 2021 4:04 AM GMT
टीके पर जोर
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केंद्र सरकार ने टीकाकरण के अगले चरण में इसका दायरा बढ़ाते हुए इसे 45 साल और उससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए खोलने का उपयुक्त फैसला किया है।

केंद्र सरकार ने टीकाकरण के अगले चरण में इसका दायरा बढ़ाते हुए इसे 45 साल और उससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए खोलने का उपयुक्त फैसला किया है। देश में जिस तेजी से कोरोना संक्रमण के नए मामले बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए बचाव की रणनीति में भी जरूरी बदलाव करते हुए आगे बढ़ना होगा। बुधवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 24 घंटों के दौरान देश में 47,262 नए केस दर्ज हुए जो पिछले 132 दिनों का उच्चतम रेकॉर्ड है। रोज आने वाले नए मामलों के अलावा अगर मौजूदा एक्टिव मामलों की बात करें तो बुधवार को यह संख्या 3,68,457 दर्ज की गई। यह लगातार 14 वां दिन था जब इसमें बढ़ोतरी देखी गई। साफ है कि देश में कोरोना के एक बार फिर बेकाबू होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। बावजूद इसके, आम लोगों में परस्पर दूरी बरतने और मास्क पहनने की प्रवृत्ति कम होती जा रही है। चाहे बाजारों में खरीदारी की बात हो या होली और कुंभ जैसे सांस्कृतिक धार्मिक आयोजनों से जुड़े उत्साह की, आम लोगों में अब कोरोना के डर को पीछे छोड़कर बेहिचक आगे बढ़ने का रुझान दिख रहा है जो शासन की ओर से बार-बार की जा रही अपीलों से भी कम नहीं हो रहा। ऐसे में देशव्यापी स्तर पर सख्त लॉकडाउन की अवस्था में वापस लौटना खासा मुश्किल होगा।

इकॉनमी की सेहत के लिहाज से भी ऐसा कोई कदम बेहद नुकसानदेह होगा। ऐसे में सबसे व्यावहारिक और उपयोगी कदम यही हो सकता है कि जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन के सुरक्षा घेरे में लेकर वायरस को मात दी जाए। फिलहाल भले 45 साल से ऊपर के लोगों को टीकाकरण के दायरे में लाया गया है, पर टीके की उपलब्धता और स्वास्थ्य तंत्र की क्षमता को देखते हुए आगे इसका दायरा और फैलाने का विकल्प खुला रखना चाहिए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की यह मांग काबिले गौर है कि युवाओं को भी टीकाकरण के दायरे में लाया जाए। पंजाब में 81 फीसदी नए मामले ब्रिटिश वैरिएंट के पाए गए हैं जो युवाओं में ज्यादा तेजी से फैलते हैं। ब्रिटेन ने मुख्यत: तेज और व्यापक टीकाकरण की नीति के जरिए जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर को काफी हद तक काबू कर लिया है, वह ध्यान देने लायक है। वहां इस साल फरवरी की शुरुआत में रोज 20,000 के आसपास नए केस दर्ज हो रहे थे, मगर 15 मार्च के बाद से यह संख्या पांच-छह हजार के आसपास चल रही है। बहरहाल, टीकों के बारे में अंतिम निर्णय बदलते हालात की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों की टीम ही ले तो बेहतर। हालांकि सारे फैसले राष्ट्रीय स्तर पर लेने के बजाय उसकी प्रक्रिया को विकेंद्रित करना अच्छा रहेगा। इससे विभिन्न राज्यों तथा क्षेत्रों की अलग-अलग स्थितियों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समायोजित किया जा सकेगा।


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