सम्पादकीय

युवा शक्ति का अमृत-काल

Subhi
16 Aug 2022 3:54 AM GMT
युवा शक्ति का अमृत-काल
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अच्छी बात है कि हम मूल्यपरक पुरानी सभ्यता के एक युवा राष्ट्र हैं। चुनौतियों को स्वीकार करने और बाधाओं से पार पाने की क्षमता भारतीयों में अद्भुत है। भारत विश्व के सबसे बड़े बाजारों में शुमार है

रमेश पोखरियाल 'निशंक'; अच्छी बात है कि हम मूल्यपरक पुरानी सभ्यता के एक युवा राष्ट्र हैं। चुनौतियों को स्वीकार करने और बाधाओं से पार पाने की क्षमता भारतीयों में अद्भुत है। भारत विश्व के सबसे बड़े बाजारों में शुमार है, साथ ही नवाचार युक्त उत्पादन का केंद्र बनता जा रहा है। यह सच है कि देश में अब भी उद्यमिता विकास, कौशल विकास और रोजगार सृजन के क्षेत्र में बड़ा काम होना है और इसमें युवाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी।

देश ने आजादी के पचहत्तर साल पूरे कर लिए। इसे मनाने के लिए पचहत्तर हफ्ते पहले आजादी के अमृत महोत्सव की शुरुआत बड़े हर्षोल्लास से हो गई थी। देश के युवाओं को समर्पित इस महान अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 12 मार्च, 2021 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से की थी, क्योंकि 12 मार्च को ही महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा शुरू की थी।

मौजूदा समय हमारे इतिहास का एक ऐसा मोड़ है, जब भारत विश्वशक्ति बनने के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके चार मुख्य कारण हैं। एक, भारत पूरे संकल्प, समर्पण और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ वैश्विक शक्ति बनने के मार्ग पर अग्रसर है। दूसरा, दुनिया की सर्वाधिक युवा आबादी भारत में है। कुल जनसंख्या का करीब छियासठ फीसद, यानी लगभग पचहत्तर करोड़ भारतीय पैंतीस वर्ष से कम उम्र के हैं। इन नौजवानों को अमूमन हमारी सबसे बड़ी ताकत माना जाता है। यही कारण है कि दुनिया भारत के भविष्य को लेकर आशान्वित है।

युवा किसी भी देश में जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण और गतिशील वर्ग है। बड़ी युवा आबादी वाले विकासशील देशों में जबरदस्त वृद्धि देखी जा सकती है, बशर्ते वे युवाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य में निवेश करें और उनके अधिकारों की रक्षा करें। उन्हें भविष्य को बदलने के लिए अच्छे स्वास्थ्य और अवसर कौशल के संदर्भ में आवश्यक समर्थन की आवश्यकता है। तीसरे, देश में अत्यंत सकारात्मक वातावरण है, सरकारी नीतियां, जैसे कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, आधारभूत ढांचे का विकास, स्टार्टअप नीति, ईज आफ डूइंग बिजनेस आर्थिक उन्नति करने में सक्षम हैं। आज देश के पास काम करने के लिए अधिक हाथ उपलब्ध हैं। यानी कामकाजी उम्र की आबादी आश्रित आबादी से बड़ी है।

भारत की अर्थव्यवस्था, जनसांख्यिकी और सरकार का सक्रिय समर्थन एक फलते-फूलते स्टार्टअप वातावरण की स्थापना के लिए व्यापक अवसर प्रदान करते हैं। सरकार की सकारात्मक नीतियों का परिणाम है कि भारत में अब आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त 38,756 स्टार्ट-अप हैं- 27 यूनिकार्न के साथ, जिनमें से आठ ने 2020 में यह दर्जा हासिल किया है- और यह वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा 'टेक स्टार्टअप हब' है। चौथा कारण है, भारत की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में बढ़ी है। आज वैश्विक विषयों पर भारतीय प्रधानमंत्री की सलाह अत्यंत महत्त्वपूर्ण रहती है। देश में निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। भारत विश्व में तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था है और निवेशकों की बड़ी पसंद के रूप में उभरा है।

अच्छी बात है कि हम मूल्यपरक पुरानी सभ्यता के एक युवा राष्ट्र हैं। चुनौतियों को स्वीकार करने और बाधाओं से पार पाने की क्षमता भारतीयों में अद्भुत है। भारत विश्व के सबसे बड़े बाजारों में शुमार है, साथ ही नवाचार युक्त उत्पादन का केंद्र बनता जा रहा है। आज भारत से प्रतिवर्ष पंद्रह लाख इंजीनियर और चौबीस हजार के करीब पीएचडी निकलते हैं। श्रम मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, प्रत्येक माह दस लाख नए श्रमिक श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे हैं। यह सच है कि देश में अब भी उद्यमिता विकास, कौशल विकास और रोजगार सृजन के क्षेत्र में बड़ा काम होना है और इसमें युवाओं की भूमिका महत्त्वपूर्ण होगी। अच्छी बात है कि इस दिशा में कार्य तेजी से शुरू हो गया है।

देश हमारे लिए सब कुछ है, यह भावना प्रथम होनी चाहिए। युवाओं में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा होना भी जरूरी है। देश के युवाओं को सही राह दिखाते हुए सकारात्मक राह पर अग्रसर करने की बहुत अधिक जरूरत है। तभी हम आजादी के सही मायने समझ और युवाओं के दिल और दिमाग में उतर पाएंगे। आज के चुनौतीपूर्ण वातावरण में युवाओं को भौतिकतावाद से दूर रह कर खुद को कड़ी मेहनत, देशभक्ति, समर्पण और मूल्य आधारित जीवन के मार्ग पर ले जाने की बड़ी आवश्यकता है, तभी हम आजादी के अमृत महोत्सव की प्रासंगिकता को सार्थक कर पाएंगे। यह सब युवाओं के जज्बे से ही संभव होगा।

अब भी ऐसे बहुत सारे युवा हैं, जो आजादी के संघर्ष को करीब से नहीं जानते और बलिदान की कहानियों से बिल्कुल अनभिज्ञ हैं, इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से उन सभी को आजादी के सही मायने समझाना बहुत जरूरी है। अगर हमारे युवाओं को यह पता न चले कि आजादी कितने संघर्षों के बाद प्राप्त हुई है, कितने बलिदानों के बाद मिली है, तो वे आजादी का सही मूल्य नहीं समझेंगे। आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से हम आज की युवा पीढ़ी को यह बता सकते हैं कि भारत को आजादी के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा और आजादी के बाद भी भारत ने किन-किन चुनौतियों का सामना किया।

कैसे देशवासियों ने उन चुनौतियों को अवसरों में बदल कर भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करने हेतु देश को प्रगति पथ पर अग्रसर किया है। यह सभी गुमनाम नायकों को याद करने और उन्हें सम्मान देने का अवसर है। अपना सर्वोच्च बलिदान कर इन वीर सेनानियों ने स्वतंत्र भारत का ख्वाब देखा और भारत को अपने संघर्ष का परिणाम मिला- भारत ब्रिटिश शासन से मुक्त होकर 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हो गया।

इस महत्त्वपूर्ण आयोजन के विषय में प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र का गौरव तभी जागृत होता है, जब हम अपने स्वाभिमान और बलिदान को याद करते और उसे अगली पीढ़ी को बताते हैं। उन्होंने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा करने के लिए भारत के युवाओं से आग्रह करते हुए कहा कि 'देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने एक समृद्ध भारत के सपने को संजोया था। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उन महापुरुषों के सपनों को पूरा करने के लिए हमें बहुत कुछ करना है।

युवाओं से आग्रह है कि वे देश भर में इस अभियान को फैलाएं।' आजादी का अमृत महोत्सव यह अवसर देता है कि हम अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने इतिहास को और करीब से जानें, क्योंकि जब आप आजादी के संघर्ष के बारे में पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि कितनी माताओं ने अपने जवान बेटों को देश पर कुर्बान किया, कितनी बहनों ने अपने भाइयों को देश के लिए न्योछावर किया, कितने बच्चे अनाथ हुए और कितने सिंदूर उजड़ गए। पता चलेगा कि भारत ने कैसे-कैसे वीरों को जन्म दिया, उन लोगों में इतना आत्मविश्वास था, देश को लेकर इतना प्रेम था कि उन्होंने अपने प्राणों का उत्सर्ग करने के लिए तनिक भी नहीं सोचा।

भारत की उपलब्धियां आज सिर्फ हमारी अपनी नहीं, बल्कि ये पूरी दुनिया को रोशनी दिखाने वाली हैं, पूरी मानवता के लिए उम्मीद जगाने वाली हैं। हम भारतीय चाहे देश में रहें या फिर विदेश में, हमने अपनी मेहनत से खुद को साबित किया है, सर्वत्र अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं। हमें अपने संविधान, अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं पर गर्व है। भारत की आत्मनिर्भरता से ओतप्रोत हमारी विकास यात्रा पूरी दुनिया की विकास यात्रा को गति देने वाली है।

आज विभिन्न सरकारी एजेंसियां और मंत्रालय, निजी क्षेत्र, अकादमिक विशेषज्ञ, प्रशिक्षण संस्थान, सिविल सोसाइटी युवा भारत की क्षमता को बढ़ाने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। अगली पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा करने की हमारी क्षमता श्रम उत्पादकता को बढ़ावा देने और समावेशी विकास के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आजादी का अमृत महोत्सव पूरे भारत की युवाशक्ति को बड़े परिवर्तन के लिए उत्प्रेरित करेगा, ताकि शक्तिशाली, आत्मनिर्भर, विश्व गुरु भारत बनने का मार्ग प्रशस्त हो सके।


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