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- सृजन का अमृतकाल
आदित्य चोपड़ा| देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से आठवीं बार राष्ट्र को सम्बोधित किया। आज उन्होंने बहुत से विषयों को छुआ लेकिन उनके सम्बोधन में एक आह्वान है कि यही वक्त है, जब देश खुद को नए सिरे से परिभाषित करता है, नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ता है। भारत की विकास यात्रा का समय आ चुका है। आजादी के अमृत महोत्सव को केवल एक समारोह तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। यह नए भारत के सृजन का अमृतकाल है। अगले 25 वर्षों में हमें ऐसे भारत का निर्माण करना है जहां सुविधाओं का स्तर गांव और शहर को बांटने वाला न हो, जहां नागरिकों के जीवन में सरकार बेवजह दखल न दे। उन्होंने अपने लोकप्रिय नारे सबका विकास, सबका विश्वास के साथ सबका प्रयास शब्द जोड़ कर राष्ट्र को आह्वान किया कि लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए हम सबको एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।