सम्पादकीय

भारत में बिजली संकट का हाल : वाजिब है कैप्टन कूल की पत्नी का पारा चढ़ना

Rani Sahu
26 April 2022 2:49 PM GMT
भारत में बिजली संकट का हाल : वाजिब है कैप्टन कूल की पत्नी का पारा चढ़ना
x
भारतीय क्रिकेट के कैप्टन कूल कहे जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) की पत्नी साक्षी धोनी का दिमाग झारखंड में हो रही भारी बिजली कटौती (Heavy Power Cut in Jharkhand) से गर्म हो गया है

रंजीव |

भारतीय क्रिकेट के कैप्टन कूल कहे जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) की पत्नी साक्षी धोनी का दिमाग झारखंड में हो रही भारी बिजली कटौती (Heavy Power Cut in Jharkhand) से गर्म हो गया है, उन्होंने एक ट्वीट कर यह कहा है कि एक टैक्स दाता के रूप में यह जानने की इच्छा है कि झारखंड में सालों से बिजली संकट (Electricity Crisis) का कारण क्या है? उल्लेखनीय है कि झारखंड में इन दिनों मांग की तुलना में बिजली की उपलब्धता अच्छी खासी कम है. नतीजतन रांची, जमशेदपुर, धनबाद जैसे बड़े शहरों समेत प्रदेश के तमाम हिस्सों में बिजली कटौती करनी पड़ रही है. दरअसल जबरदस्त गर्मी के बीच बिजली की भारी कटौती पर यह गुस्सा अकेले साक्षी का नहीं है. इन दिनों लगभग पूरे भारत में बिजली का यही हाल है. महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक जैसे विकसित राज्यों के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्य भी जबरदस्त कटौती का सामना करना रहे हैं.
बीते 122 साल में सबसे गर्म मार्च का महीना साल 2022 में ही रहा. लिहाजा मार्च के महीने से ही भारत में अधिकांश हिस्सों में बिजली की मांग में जबरदस्त वृद्धि हो गई है. यही सिलसिला अप्रैल में भी जारी है. मौसम का तापमान अभूतपूर्व रूप से ऊपर है और गर्मी से राहत पाने के लिए एसी और कूलर जैसे बिजली के उपकरणों का अंधाधुंध प्रयोग बिजली सप्लाई के सिस्टम पर भारी दबाव डाल रहा है. हालात ये हैं कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में इन दिनों बिजली की अधिकतम मांग 21,000 मेगावाट तक का भारी-भरकम आंकड़ा छू रही है और सारे प्रयासों के बाद भी मांग और आपूर्ति में करीब डेढ़ से दो हजार मेगावाट की प्रतिदिन कमी रह रही है.
करीब सौ बिजली घरों में कोयले की कमी है
परिणाम स्वरूप कई हिस्सों में बिजली की कटौती करनी पड़ रही है. सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म्स यूजर्स के ऐसे पोस्ट्स से भरे पड़े हैं, जिनमें यूपी के अलग-अलग जिलों से बिजली की किल्लत की शिकायतें बड़े पैमाने पर की जा रही हैं. यहां तक की कई यूजर्स यहां तक कह रहे हैं कि बिजली विभाग की जिम्मेदारी फिर से "पहले वाले शर्मा जी" को दे दी जाए, ताकि हालात सुधरें. ध्यान रहे कि योगी 2.0 में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा बनाए गए हैं, जबकि इसके पहले के कार्यकाल में यह जिम्मेदारी श्रीकांत शर्मा पर थी. इन दिनों देशभर में गहराए बिजली संकट का कारण महज मांग और उपलब्धता का अंतर भर नहीं है, बल्कि इसका एक सिरा बिजली घरों में कोयले की जबरदस्त किल्लत से भी जुड़ा है. भारत में बिजली के उत्पादन का सबसे बड़ा स्रोत आज भी कोयला ही है और ताप बिजली घरों में बिजली के उत्पादन के लिए कोयला ही ईंधन है.
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की हालिया रिपोर्ट के हवाले से आई खबरों के मुताबिक देश के करीब पौने दो सौ बिजली घरों में से करीब 100 में कोयले की कमी है. जहां बिजली घरों में कम से कम 24 दिनों तक का स्टॉक होना चाहिए, वहीं इन दिनों दिनों कई बिजली घरों में बमुश्किल 1 सप्ताह से 9 दिन तक का ही कोयला होने की बात ऊर्जा विभाग की जानकार कर रहे हैं. स्वाभाविक रूप से कोयले की कमी होने के कारण बिजली घरों में क्षमता के मुताबिक उत्पादन नहीं हो पा रहा है. नतीजतन बिजली की बढ़ी हुई मांग से निपटने के लिए भारत के ज्यादातर राज्यों में बिजली की कटौती करनी पड़ रही है और जो जो साक्षी सिंह धोनी, जैसे देशभर में हजारों बिजली उपभोक्ताओं का इस गर्मी में पारा चढ़ा रहा है.
हालांकि, इन दिनों प्रीपेड बिजली मीटर आदि का चलान शहरी इलाकों में बढ़ा है. लेकिन आज भी बिजली उन चुनिंदा सेवाओं में शामिल है जो पहले इस्तेमाल करो फिर भुगतान करो की व्यवस्था पर चलती हैं. यानी ज्यादातर घरों में बिजली की खपत हो जाने के बाद ही उसके बिल का भुगतान होता है. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में बिजली विभाग पर तमाम सरकारी विभागों और आम उपभोक्ताओं का भी हजारों करोड़ रुपए का बकाया है. भारी घाटे में चल रहे बिजली निगमों के लिए सरकारों की ओर से मुफ्त बिजली जैसी घोषणाएं जले पर नमक छिड़कने जैसी होती हैं, क्योंकि ज्यादातर मामलों में इससे होने वाले घाटे की भरपाई सब्सिडी के रूप में करने में सरकारी तंत्र आमतौर पर आनाकानी ही करता है.
कोयले को आयात करने के लिए टेंडर भी निकाले हैं
बिजली घरों में कोयले के वर्तमान संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की सलाह पर कई राज्य सरकारों ने बिजली उत्पादन निगम और निजी बिजली उत्पादन घरानों को कोयले का आयात करने और घरेलू कोयले के साथ उसकी 10 फीसदी ब्लेंडिंग करने यानी मिलाने को कहा है. जिसके आधार पर कई राज्य बिजली निगम और निजी घरानों ने कोयले को आयात करने के लिए टेंडर भी निकाले हैं. लेकिन इसमें एक पेच यह है कि विदेशी कोयले से उत्पादित बिजली की उत्पादन लागत में इजाफा होगा. इसकी भरपाई कैसे की जाएगी यही सवाल उत्तर प्रदेश में विद्युत नियामक आयोग ने राज्य विद्युत उत्पादन निगम से पूछ लिया है. जिसमें यह बताने को कहा गया है कि इसकी भरपाई कौन करेगा.
कुल मिलाकर हालात इसी ओर संकेत करते हैं कि अगर आयातित कोयला आ भी जाए और बिजली उत्पादन में सुधार भी हो तो उसमें फिलहाल अच्छा खासा वक्त लगने वाला है. लेकिन गर्मी जिस कदर बढ़ रही है और उसी अनुपात में बिजली की मांग और कटौती भी तो उससे, हालात ऐसे ही लग रहे हैं, बिजली कटौती से त्रस्त जनता के ट्वीट्स और उनकी तीखी प्रतिक्रियाएं मानसून आने तक शायद चलती ही रहेंगी!
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story