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चुनाव सुधार : लोकतांत्रिक व्यवस्था को सक्षम और सबल बनाने के लिए चुनाव सुधारों को गति तेज करने की जरुरत
जब भी चुनाव आते हैं, चुनाव सुधारों की मांग भी तेज हो जाती है। ऐसी मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने चुनाव सुधार की दिशा में निर्णायक पहल करते हुए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोडऩे, पंचायत एवं निकाय चुनावों और विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों की मतदाता सूचियों को एक करने, नए मतदाताओं का नाम मतदाता सूची में एक वर्ष में कई बार शामिल करने संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय लिए। ये सुधार आवश्यक थे, लेकिन इसके साथ ही अन्य सुधार भी अपेक्षित हैं। भारत में अनेक लोगों का नाम जाने-अनजाने एकाधिक जगहों पर मतदाता सूची में शामिल होता है। इससे न सिर्फ एक व्यक्ति एक मत के संवैधानिक प्रविधान का उल्लंघन होता है, बल्कि वास्तविक जनादेश का भी हरण हो जाता है। इससे मतदान का सही प्रतिशत पता करना भी मुश्किल होता है। चुनाव आयोग इस समस्या के समाधान के लिए लंबे समय से प्रयत्नशील था, लेकिन अधिक सफलता नहीं मिल रही थी। अब मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़कर फर्जी मतदाताओं का उन्मूलन किया जा सकेगा।