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- चुटकी में चुनावी...
पांचवें वर्ष की अहमियत में सत्ता पक्ष की बहारें और चांद सितारे तोड़ लाने की कवायद का शुक्रिया अदा करने का माहौल इस समय हिमाचल में व्याप्त है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूरे हाथ खोल दिए हैं और इस तरह प्रदेश जो कल तक सोच नहीं पा रहा था, आज होने लगा है। ऐसे में हम न बजट की बात करेंगे, न जीएसटी मुआवजे के 35 सौ करोड़ पर छाई अनिश्चितता और न ही केंद्र से किसी विशेष आर्थिक पैकेज की अपेक्षा करेंगे, लेकिन इन बहारों में उन कसीदों को सुनेंगे, जिन्हंे राजनीति हर बार गढ़ लेती है। अंतिम चरण के फैसले पवित्र जरूर हैं, लेकिन सत्ता का अंतिम वर्ष ही क्यों इतना नजदीक सुन पाता है। वर्षों से पंजाब की सीमा से सटे नूरपुर क्षेत्र के लिए अलग से पुलिस अधीक्षक की मांग हो रही थी, जिसे चुनाव की चुटकियों ने पूरा कर दिया। इसकी सराहना होनी चाहिए, लेकिन क्या एक एसपी की नियुक्ति से सीमा से सटे इलाके आपराधिक तंत्र, नशे की तस्करी और रेत माफिया के चुंगल से पूरे राज्य को बचा पाएंगे। शायद कोई निर्णय लेना आसान होता है, लेकिन नीति-नियम बना कर उन के ऊपर कार्यान्वयन करना उतना ही कठिन। होना तो यह चाहिए कि पांवटा साहिब से शुरू करके मैहतपुर और जसूर तक की पट्टी के लिए एक अलग तरह की पुलिस व्यवस्था चाहिए और इसके लिए अधिकार क्षेत्र, प्रशिक्षण तथा नियंत्रण की अलग से मानिटरिंग भी चाहिए।
सोर्स- divyahimachal