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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुरुवार को हुई जम्मू कश्मीर के 14 नेताओं की बैठक एक अच्छी शुरुआत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गुरुवार को हुई जम्मू कश्मीर के 14 नेताओं की बैठक एक अच्छी शुरुआत है। जिस तरह के सौहार्द्र भरे माहौल में यह बैठक हुई, उसकी झलक इसके बाद मीडियाकर्मियों से नेताओं की बातचीत में भी दिखी। सबने बैठक में हुई बातचीत और सरकार के नजरिए पर संतोष जताया। असहमतियों का सामने आना लाजिमी था, लेकिन कड़वाहट से बचने की कोशिश दोनों तरफ से नजर आई, जो बहुत महत्वपूर्ण है।
ध्यान रहे, अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और राज्य के बजाय उसे दो अलग-अलग केंद्र शासित क्षेत्र -जम्मू कश्मीर और लद्दाख- में तब्दील किए जाने के बाद यह पहला मौका है, जब उस क्षेत्र के दलों और नेताओं के साथ इस तरह की कोई बैठक बुलाई गई। इस दौरान इनमें से कई नेताओं को एक लंबा समय हिरासत में गुजारना पड़ा। जम्मू कश्मीर के लोगों को भी इंटरनेट शटडाउन समेत नागरिक अधिकारों पर तरह-तरह की बंदिशें झेलनी पड़ीं।
अच्छी बात यह है कि सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी घटनाओं में कमी के बाद धीरे-धीरे बंदिशें कम होती जा रही हैं। इस बीच वहां सरपंचों और जिला विकास परिषद के सदस्यों के चुनाव सफलतापूर्वक करवाए जा चुके हैं। बावजूद इन सबके, यह कोई छोटी बात नहीं है कि जम्मू कश्मीर के इन तमाम दलों में से किसी ने भी सरकार के कदमों से उपजी नाराजगी को बातचीत में आड़े नहीं आने दिया। बातचीत के लिए किसी तरह की शर्त नहीं रखी गई। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं ने अनुच्छेद 370 को लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए भी यह स्पष्ट कर दिया कि वे शांतिपूर्ण और संवैधानिक तरीकों से ही आगे बढ़ेंगे।
दूसरी तरफ सरकार ने चुनाव क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया में सहयोग की अपील करते हुए यह स्पष्ट किया कि वह जल्द से जल्द चुनाव करवाकर निर्वाचित सरकार स्थापित करना चाहती है। हालांकि जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा कब दिया जाएगा, यह औपचारिक तौर पर साफ नहीं किया गया है, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री और खुद प्रधानमंत्री का बैठक में इसे लेकर प्रतिबद्धता जताना महत्वपूर्ण है। कुल मिलाकर कश्मीर समस्या की जटिलता को ध्यान में रखें तो यह उम्मीद करना व्यावहारिक नहीं होगा कि इस एक बैठक के बाद वहां सब कुछ सामान्य हो जाएगा।
लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि दोनों तरफ से जिस तरह की सूझबूझ और सहयोग भरे रवैये की झलक इस बैठक में मिली है, वह जारी रहा तो जम्मू कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने की राह में आने वाली हर बाधा को दूर करते चलना कोई मुश्किल नहीं होगा। लेकिन वहां गड़बड़ियां फैलाने की मंशा रखने वाले तत्व भी यह बात समझते हैं। इसीलिए आपसी सहमति और विश्वास का ऐसा माहौल उन्हें बेचैन करने लगता है। शोपियां में शुक्रवार को हुई आतंकी झड़प की खबरें संभवत: इसी बेचैनी की झलक दिखा रही हैं
Triveni
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