- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- अकेलेपन से जूझते...
हाल में इंदौर में निराश्रित बुजुर्गों को शहर से जबरन बाहर निकालने की घटना ने लोगों को ध्यान फिर से बुजुर्गों की ओर खींचा। बुर्जुगों की इस कदर अनदेखी-उपेक्षा के बीच पिछले दिनों एक सुखद खबर भी आई। एक महिला के पति की मृत्यु हो गई थी। बच्चे अपने-अपने परिवारों में व्यस्त थे। महिला नितांत अकेली थी। क्या करे। कोई सुख-दुख बांटने वाला भी आसपास नहीं था। उसने संन्यास ले लिया और हरिद्वार चली आई। वहां वह साधु-संतों के बीच रहने लगी। वहीं उसकी मुलाकात एक साधु से हुई। दोनों एक-दूसरे से सुख-दुख कहने लगे। धीरे-धीरे दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। दूसरे साधु-संतों ने यह देखा तो दोनों का विवाह करा दिया। इसी तरह कुछ दिन पहले एक वृद्धाश्रम में रहने वाले दो बुजुर्गों ने भी विवाह किया। इन दिनों होने वाले बहुत से ऐसे ही विवाह अपने देश में बदले हुए वक्त को बता रहे हैं। इन दिनों एक टूथपेस्ट के विज्ञापन में एक उम्रदराज महिला अपने बाल-बच्चों और नाती-पोतों को खाने पर बुलाती है। वह बार-बार बाहर की ओर देखती है। मानो किसी के आने का इंतजार हो। थोड़ी देर बाद एक बड़ी उम्र का आदमी उसका कंधा थामता है और वह महिला अपनी अनामिका में पहनी अंगूठी दिखाती है। यानी वह रिलेशनशिप में है और उसने मंगनी की अंगूठी पहन ली है। यह देखकर बच्चे पहले चकित होते हैं, फिर खुशी मनाते हैं। विज्ञापन की आखिरी लाइन है-नई आजादी का जश्न।