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- या तो योगी, या अखिलेश
परिवर्तन शाश्वत है, नित्य है। प्रत्येक क्षेत्र में, प्रतिक्षण परिवर्तन होता रहता है। व्यक्ति भी हर पल कुछ जानता रहता है, करता रहता है। तब राजनीति कैसे अछूती रह सकती है? क्या पं. जवाहर लाल नेहरू और इन्दिरा गांधी में विरोधाभास नहीं था? क्या राहुल- प्रियंका भी इंदिरा गांधी अथवा राजीव जैसे हो सकते हैं? फिर उत्तराधिकारी के रूप में न तो अखिलेश, मुलायम सिंह हो सकते हैं, न ही मायावती- कांशीराम। बस इसी परिवर्तन पर उत्तरप्रदेश विधानसभा के आम चुनावों का आधार होगा। अर्थात जो अब तक नहीं हुआ, वही होने वाला है। अपने संवाद सेतु कार्यक्रम के तहत पिछले दिनों उत्तरप्रदेश दौरे में जो कुछ देखने- सुनने को मिला, उससे तो यही अनुमान लगता है। इस दौरान प्रमुख शहर-कस्बों में समाज के सभी वर्गों के लोगों से मुलाकात भी हुई। लोगों ने भूलकर अपने मन की बात कही।
क्रेडिट बाय पत्रिका।