- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- मंत्रिपरिषद का असरदार...
कोविड महामारी के कारण न केवल विश्व की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी हुई है, बल्कि बेरोजगारी भी चरम पर है। भारत भी इस समस्या से अछूता नहीं। मोदी सरकार के सामने इस समय सबसे बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना और निम्न एवं और मध्यम वर्ग को आॢथक रूप से सक्षम बनाना है। इस चुनौती के बीच उन्होंने अपने दो साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद अपनी मंत्रिपरिषद का विस्तार किया। वैसे तो केंद्रीय मंत्रिपरिषद में विस्तार एक अर्से से प्रस्तावित था, लेकिन बीते कुछ दिनों से यह स्पष्ट था कि अब इसमें देर नहीं होने वाली। जैसे ही कोविड महामारी का कहर थमा, मोदी ने मंत्रिपरिषद का प्रतीक्षित काम पूरा किया। यह विस्तार ऐसे समय पर किया गया जब कुछ ही महीनों बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इनमें उत्तर प्रदेश राजनीतिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण है। यहां से 80 सांसद चुने जाते हैं। चूंकि केंद्रीय सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है, इसलिए इस राज्य में सत्ता बनाए रखना भाजपा की पहली प्राथमिकता होगी। मंत्रिपरिषद के विस्तार के साथ उत्तर प्रदेश के मंत्रियों की संख्या 15 हो गई है। इनमें दलित, ओबीसी के साथ-साथ अगड़े वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देकर प्रधानमंत्री ने राज्य की जनता और साथ ही विपक्षी नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया। इस संदेश के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा को चुनाव के समय सामाजिक समीकरण साधने में आसानी होगी।