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- वैक्सीन का असर
पिछले तकरीबन दो साल में जिस शब्द ने दुनिया को सबसे ज्यादा उलझाए रखा, वह है वैक्सीन। सरकारों ने इसे हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया, दुनिया के कोने-कोने में इसकी आपूर्ति के लिए बनी व्यवस्थाओं ने दिन-रात एक कर दिया, अपना जीवन जोखिम में डालकर चिकित्साकर्मी वैक्सीनेशन के काम में जुटे और लोगों ने इसे लगवाने के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगाईं। यहां पर हमने इन वैक्सीन की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी वैज्ञानिकों को छोड़ दिया है, क्योंकि बाकी ने तो अपने काम को अंजाम तक पहुंचाकर चैन की सांस ले ली है, पर वैज्ञानिकों को यह मौका अभी भी नहीं मिला। वे वैज्ञानिक ही हैं, जो इस काम में सबसे पहले जुटे थे और वे वैज्ञानिक ही हैं, जो अभी तक इसमें जुटे हैं। वे वैज्ञानिक ही थे, जिन्होंने अपनी सक्रियता से सबसे पहली उम्मीद की किरण दिखाई थी, और वे वैज्ञानिक ही हैं, जिनकी सक्रियता तब तक जारी रहने वाली है, जब तक हम पूरी तरह आश्वस्त नहीं हो जाते। दुनिया में वैक्सीन और उसके प्रभावों को लेकर जितना काम पिछले दो साल में हुआ है, उतना शायद पहले कभी नहीं हुआ। इसीलिए पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई शोध सामने आए हैं, जो महामारी को लेकर प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता और वैक्सीन की प्रतिरोधक क्षमता के बारे में हमारी कई शंकाओं का निवारण करते हैं।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान