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- पाबंदियों का असर
कोरोना संक्रमितों की तेजी से बढ़ती संख्या और ओमीक्रोन वेरिएंट के विस्तार से आशंकित राज्य सरकारें एक बार फिर आंशिक लॉकडाउन की ओर लौट चली हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तो कई पाबंदियां पहले से ही लागू हैं, पर दिल्ली सरकार ने अब और सख्ती बरतते हुए सभी निजी दफ्तरों को भौतिक रूप से बंद करने का फैसला किया है, रेस्तरां, होटलों में बैठकर खाने पर भी रोक लगा दी गई है। वैसे तो, एहतियात बरतने के किसी भी कदम का स्वागत ही किया जाएगा, लेकिन सरकारों को यह भी ख्याल रखना होगा कि उनके किसी कदम की अनिवार्यता और उसके असर से गहरी सामाजिक विसंगति न पैदा होने पाए। दफ्तरों में कर्मचारियों की उपस्थिति को पूरी तरह रोकने से कोविड संक्रमण को काबू में करने में कितना फर्क पड़ा, इसका कोई ठोस अध्ययन अब तक हमारे सामने नहीं आया है, अलबत्ता, ऐसे आंकड़े जरूर हमारे सामने हैं, जो बताते हैं कि पिछले लॉकडाउन ने कितने निम्न-मध्यवर्गीय परिवारों को फिर से गरीबी की खाई में धकेल दिया और बेरोजगारी देश में किस स्तर पर पहुंची!
हिन्दुस्तान