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- शिक्षा को चाहिए तकनीक...
भूपेंद्र सिंह| देश में स्कूली शिक्षा इन दिनों कठिन चुनौतियों का सामना कर रही है। हालांकि यह क्षेत्र कोविड-19 महामारी से पहले भी पढ़ाई के विकट संकट से जूझ रहा था। तब दस साल की उम्र वाले दो में से एक बच्चे में पढ़ने की बुनियादी दक्षता की कमी थी। महामारी ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है, क्योंकि 15.5 लाख स्कूल भौतिक रूप से बंद हो गए हैं। इससे 24.8 करोड़ से अधिक छात्र एक वर्ष से अधिक समय तक कक्षीय पठन-पाठन से वंचित हैं। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया है कि स्कूलों के बंद हो जाने के चलते प्राथमिक विद्यालयों के 82 से 92 प्रतिशत छात्रों ने कम से कम एक गणितीय और भाषा कौशल खो दिया है। यह स्थिति शिक्षा में तकनीक को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दे रही है। इससे हर बच्चे की शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी। यद्यपि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने रेडियो और टेलीविजन कार्यक्रमों, लाइव व्याख्यानों के साथ-साथ ऑनलाइन एप्लीकेशंस के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा और अध्ययन की निरंतरता बनाए रखने के लिए कई प्रयोग किए हैं, परंतु इस दिशा में अभी भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं। शिक्षा की र्वािषक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर)-2020 से पता चला है कि घरेलू स्तर पर लगभग 60 प्रतिशत छात्रों के पास ही टेलीविजन और स्मार्टफोन की सुविधा उपलब्ध है।