सम्पादकीय

शिक्षा और जीवन-कौशल सबसे बुनियादी महत्व के विषय, जिन्हें कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

Gulabi
13 March 2022 8:28 AM GMT
शिक्षा और जीवन-कौशल सबसे बुनियादी महत्व के विषय, जिन्हें कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
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दुबई की अपनी यात्राओं में एकबार मैं शिक्षा से जुड़े किसी काम के लिए गया था
एन. रघुरामन का कॉलम:
दुबई की अपनी यात्राओं में एकबार मैं शिक्षा से जुड़े किसी काम के लिए गया था, वहां मैंने पाया कि दो प्रमुख विषयों पर ज्यादा बातें हो रही हैं। पहली बात इसके इर्द-गिर्द थी कि किस स्कूल के पास सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट अकादमी है और उससे किस प्रसिद्ध क्रिकेटर का नाम जुड़ा है। ये वो समय था, जब दुबई की अग्रणी क्रिकेट ट्रेनिंग अकादमियों में से एक 'क्रिकेट्स स्पेरो' ने एमएस धोनी क्रिकेट अकादमी के साथ सहभागिता की घोषणा की थी।
तब कोई भी माता-पिता इस बारे में बात नहीं कर रहे थे कि स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता कैसी है या कौन क्या पढ़ाता है और कैसे वो विषय बच्चे का कॅरियर बना सकते हैं। इसके बजाय इस बारे में बातें होती थीं कि स्कूल की ग्राउंड फेसिलिटी कैसी है या बच्चे का कोच कौन होगा आदि। इसने मुझे कुछ ऐसे पैरेंट्स से मिलने के लिए प्रेरित किया, जिनके बच्चे क्रिकेट कोचिंग में हैं। मैंने पाया कि अपने बेटों को कोचिंग में भेजना चलन में आ चुका था।
बच्चों के साथ खेल के मैदान जाने वाले पैरेंट्स का फोकस इसी पर था कि किसी तरह उनके बेटे किसी आईपीएल टीम का हिस्सा बन जाएं और टॉप-टेन ऑक्शन-लिस्ट में दिखाई दें। वे न केवल ट्रेनिंग सेशन के दौरान बैठे रहते, बल्कि खेल के बारे में अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए मोबाइल पर पुराने मैच भी देखते और विशेषज्ञों की टिप्पणियां सुनते।
मैंने जानबूझकर उनसे शिक्षा पर बात नहीं की या यह नहीं पूछा कि उनके बच्चे कितने पढ़ाकू हैं, क्योंकि उन्हें लगता था कि चूंकि वे बुद्धिमान हैं, इसलिए पैरेंट्स यह खुद देख सकते हैं। दूसरा विषय ग्वालियर की एक यूट्यूबर पूनम देवनानी के वीडियो देखने के इर्द-गिर्द घूमता था। वे 'मां, ये कैसे करूं' नाम का एक प्रोग्राम चलाती हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि उनके वीडियो करोड़ों बार देखे जा चुके हैं और विदेश में बसे भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं।
अगर आपको नहीं पता कि कोई काम कैसे करते हैं तो इसके लिए आपको भारत में अपनी मां को फोन करने की जरूरत नहीं है, आप केवल इस चैनल पर 'ऑनलाइन मां' से पूछ सकते हैं! वे जीवन में चीजें सरल बनाने के देसी तरीके सिखाती हैं।
उनके वीडियोज़ में प्लास्टिक की बोतलों का फिर से इस्तेमाल करने से लेकर गर्मियों में परदे किस रंग के होने चाहिए, मिट्‌टी के बर्तन में सब्जियां कैसे सहेजें, घर पर फेस सीरम कैसे बनाएं, रसोईघर के नुस्खे, फ्रिज के बिना पानी कैसे ठंडा रखें, हरी सब्जियों को कैसे ज्यादा समय तक ताजा रखें, कमरे की सजावट कैसे करें, त्वचा-बालों की देखभाल कैसे करें जैसी अनेक बातें बताई गई हैं।
इससे आपको और मुझे नानी के घर बिताईं गर्मियों की छुट्टियां याद आ सकती हैं, क्योंकि तब वहीं पर हम बहुत सारी बातें सीखते थे। लेकिन चूंकि बीते कुछ दशकों में हमारे बच्चे दूसरे देशों में चले गए हैं और हमारे नाती-पोते वहीं पैदा हुए हैं, इसलिए इस तरह के चैनल उन नाती-पोतों, जो अब युवा हैं, उनके बीच बहुत लोकप्रिय हैं, जिनके नवजात बच्चे हैं या उन अविवाहितों में जिन्हें हाल ही में नया जॉब मिला है और जो अमीरात में अकेले रह रहे हैं।
शायद उनके माता-पिता को उन्हें 'घर का काम' सिखाने का कोई समय नहीं मिला होगा या उनके पास उनके ग्रैंडपैरेंट्स नहीं होंगे, जो उन्हें देसी समझ-बूझ सिखा पाते। मेरी चिंता यह है कि अगर हम शिक्षा की उपेक्षा करने लगें, जिसका बुनियादी प्रयोजन युवाओं को ज्ञान और बुद्धिमत्ता देना है तो शायद आने वाले दिनों में पूनम को एक ऐसा चैनल खोलना पड़ेगा, जिसका नाम होगा- 'मां, मैं कैसे पढूं?' बहुत सम्भव है वो ऐसा चैनल खोल ही दें।
फंडा यह है कि पैरेंट्स और स्कूल बच्चों का बहुआयामी विकास कर सकते हैं, लेकिन शिक्षा और जीवन-कौशल सबसे बुनियादी महत्व के विषय हैं, जिन्हें कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
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