सम्पादकीय

Editorial: पढ़ने के साथ समझना भी जरूरी

Gulabi Jagat
28 Nov 2024 10:52 AM GMT
Editorial: पढ़ने के साथ समझना भी जरूरी
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Vijay Garg: हमारे यहां 'शब्द' को ब्रह्म कहा गया है। ब्रह्म यानी कि इस संसार की रचना करने वाला। तो क्या शब्द भी ब्रह्म की तरह दुनिया का निर्माण करते हैं? आइए, इसे एक उदाहरण के जरिए समझते हैं। मान लीजिए, आप आराम से चुपचाप बैठे हुए हैं। कोई अचानक आकर ही आपको गालियां देने लगता है। अभी तक आप शांत थे। गालियां सुनने के बाद आपको गुस्सा आ गया। अब आपके अंदर की दुनिया क्या पहली जैसी ही शांत है? नहीं न वह बदल गई है और इस दुनिया को बनाने का काम मात्र कुछ शब्दों ने ही तो किया है। इससे यह सिद्ध होता है कि हम जो भी सुनते और बोलते हैं, उनका बहुत गहरा और सीधा संबंध हमारे विचारों और हमारी भावनाओं से होता है।
यदि आप एक छात्र हैं और मैं आपसे पूछूं कि आप फिलहाल कौन सा काम कर रहे हैं, तो आपका उत्तर होगा मैं पढ़ाई कर रहा हूं। हर छात्र और उनके माता-पिता इस काम को 'पढाई करना' ही कहते हैं। लेकिन आपके लिए मेरी चिंता यह है कि आप 'पढ़ाई कर रहे हैं या आप 'अध्ययन' कर रहे हैं। आप जब अपने कोर्स की किताबों के साथ होते हैं, तब आप उसे पढ़ रहे होते हैं, या उसकी स्टडी कर रहे होते हैं? आपके इस उत्तर से आपके अंतर्मन की स्थिति जुड़ी हुई है। जैसे कोई व्यक्ति उपन्यास पढ़ रहा है, लेकिन जब उसी उपन्यास को हिंदी साहित्य का विद्यार्थी अपने सिलेबस के कारण पढ़ता है, तो इन दोनों के पढ़ने के तरीके में बहुत | अंतर आ जाएगा। वह व्यक्ति उस उपन्यास को मनोरंजन के लिए पढ़ रहा है। उसे न तो उपन्यास की घटनाओं को याद रखने की जरूरत है और न ही उसे उसकी समीक्षा करनी है। लेकिन हिंदी साहित्य के विद्यार्थी को उस उपन्यास के प्रति गंभीर होकर ध्यान से पढ़ना होगा और उसे समझना भी होगा। इसी तरह जब आप अपनी पढ़ाई गंभीर होकर करने लगते हैं, तब वह पढ़ाई अपने आप ही अध्ययन बन जाती है।
इसलिए मेरे इस लेख का आपके लिए मूल सूत्र यह है कि आप अपने दिमाग मैं इस वाक्य को बैठा लें कि 'मैं पढ़ाई नहीं अध्ययन कर रहा हूं।' आपका यह वाक्य आपके अंदर एक ऐसी दुनिया की रचना कर देगा, जिसकी ग्रहण करने की क्षमता पहले की तुलना में कई गुना बढ़ जाएगी। इससे स्मरण शक्ति में भी इजाफा हो जाएगा। पढ़ाई को बोझ न समझें: जब हम पढ़ने को अध्ययन में तब्दील कर देते हैं, तब हमें पढ़ाई बोझ लगना बंद हो जाती है। हमें उसमें मजा आने लगता है। तब पढ़ा हुआ समझ में आने लगता है और वह आप भूलते नहीं। रटने का संबंध सूचनाओं को अपने दिमाग में इकट्ठा करना है। जबकि समझने का अर्थ है, उसका हमारे दिमाग में रच-बस जाना। महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने ज्ञान के बारे में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही थी। उन्होंने कहा था कि 'पढ़ने के बाद हम काफी कुछ भूल जाते हैं, लेकिन जो बच जाता है, वही ज्ञान है।' उनके कहने का आशय यही था कि जिन्हें हम रटते हैं, वे गायब हो जाते हैं और जो हमारी समझ में आ जाते हैं, वे जिंदगी भर हमारे साथ रहते हैं।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब
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