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- संपादकीय: एक और अग्नि...
कोरोना की दूूसरी लहर के विकराल प्रकोप के चलते सरकारी अस्पतालों में जनरल ओपीडी को बंद कर दिया गया था। सामान्य स्थितियों में लगने वाले अरोग्य मेले, स्वास्थ्य जांच शिविर स्थगित कर दिए गए थे। सभी बड़े अस्पताल कोरोना केयर सैंटर में तब्दील कर दिए गए थे। ऐसी स्थिति में कोरोना बीमारी के अलावा कई अन्य गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों की परेशानियां काफी बढ़ गईं। देश में दिल और फेफड़ों की बीमारियों से लाखों लोग पीड़ित हैं, लाखों लोग कैंसर से पीड़ित हैं। भारत में हर वर्ष 24.9 फीसदी लोग हृदय रोगों से, फेफड़ों की बीमारी से 10.8 फीसदी, स्ट्रोक से 9 फीसदी समय पूर्व प्रसव जटिलताओं के चलते 3.9 फीसदी और तपेदिक से 2.7 फीसदी लोग मृत्यु का ग्रास बनते हैं। सांस की बीमारियों से भी लोग मरते हैं। इनमें कुछ बीमारियों का उपचार शुरूआती स्तर पर ही किया जा सकता है, जबकि कैंसर जैसी बीमारियों का उपचार केवल विशेषज्ञों द्वारा ही किया जा सकता है। कोरोना की पहली लहर को लेकर अब तक देश की स्वास्थ्य सेवाओं पर कोरोना ग्रस्त रोिगयों का काफी बोझ रहा। ऐसी स्तिथि में अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों की सुध कौन लेता। लॉकडाउन की पाबंदियों के चलते ऐसे लोगों को घरों में बंद रहना पड़ा। कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए इनका घरों में ही रहना ठीक था। अब जबकि कोरोना के नए मामले रोजाना घट रहे हैं। राजधानी दिल्ली में तो कोरोना की दूसरी लहर दम तोड़ती दिखाई दे रही है। कोेरोना रोगियो का बोझ कम होते ही अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और कुछ अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी खोली जा रही है। अन्य राज्यों में भी सरकारी अस्पतालों की ओपीडी खोली जा रही है। अब लोग वहां जाकर डाक्टरों से परामर्श ले सकते हैं। लगभग दो माह से ओपीडी खुलने का इंतजार कर रहे लोगों को इससे राहत मिलेगी।