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देश में कोरोना के 20 हजार केस प्रतिदिन आ रहे, सावधानी बरतना अभी भी जरूरी
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
पिछले दो वर्षों से कोरोना संक्रमण के कारण किसी-न-किसी रूप में प्रतिबंधों की मार झेल रहे त्यौहार अब रोक-टोक से मुक्त हो गए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने गणेशोत्सव और दही-हांडी जैसे उत्सवों को प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया है। अब लोग कोरोना काल के पहले की तरह उत्साह और उल्लास के साथ त्यौहार-उत्सव मना सकेंगे। हालांकि कोरोना अभी गया नहीं है, उसके लौटने की आहट फिर से सुनाई देने लगी है, लेकिन अब उसका स्वरूप पहले की तरह विकराल नहीं रह गया है, इसलिए सरकार द्वारा प्रतिबंधों को हटाया जाना उचित ही है।
दरअसल बहुत ज्यादा कड़े प्रतिबंधों के कारण अर्थव्यवस्था के चरमराने का खतरा भी रहता है। चीन में जीरो कोविड पॉलिसी के कारण ही विकास की रफ्तार इतनी धीमी पड़ गई है कि लोगों के बीच सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ने लगा है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार चीन की अर्थव्यवस्था 2022 की दूसरी तिमाही में तेजी से गिरते हुए 0.4 प्रतिशत पर आ गई, जो कि 2 साल में सबसे कम है। दरअसल, जीरो कोविड पॉलिसी के तहत चीन के प्रमुख शहरों में कई महीनों तक लॉकडाउन लगा रहा, जिसका दुष्परिणाम अब दिखाई दे रहा है। हमारे देश में भी जब कोरोना संक्रमण चरम पर था तब बहुत सारे प्रतिबंध केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाए गए थे, क्योंकि उस समय अर्थव्यवस्था बचाने से ज्यादा जरूरी लोगों की जान बचाना था। अब चूंकि हालात नियंत्रण में हैं, इसलिए प्रतिबंधों को हटाना भी उतना ही जरूरी है क्योंकि अर्थव्यवस्था अगर चौपट हुई तब भी लोगों का ही जीना दुश्वार होगा। लेकिन पिछले कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे भी कम चिंताजनक नहीं हैं।
देश में पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस के बीस हजार से ज्यादा मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं और राज्य में भी हालात चिंता पैदा करने लगे हैं। कल गुरुवार को ही महाराष्ट्र में कोरोना वायरस से संक्रमित 2289 और मरीजों की पुष्टि हुई तथा छह संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। बुधवार को भी कोविड के 2325 मामले मिले थे और सात लोगों की मौत हुई थी। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य में संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या अब 14519 हो गई है। इसलिए अर्थव्यवस्था के मद्देनजर राज्य सरकार ने भले ही प्रतिबंधों को हटा लिया हो लेकिन नागरिकों को स्वैच्छिक रूप से सावधानी बरतना अभी भी जरूरी है। दो साल के बाद भी कोरोना जिस तरह से लौट-लौट कर आ रहा है, उसे देखते हुए जरूरी हो गया है कि अब हम बुनियादी सावधानियों के पालन को अपनी आदत में शुमार कर लें, ताकि कोरोना से बचाव भी हो सके और विकास की रफ्तार भी धीमी पड़ने की नौबत न आए।

Rani Sahu
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