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- अर्थव्यवस्था और...
आदित्य चौपड़ा। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कहर का अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ा, इस संबंध में अलग-अलग विचार व्यक्त किए जा रहे हैं। अर्थशास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि महामारी का अर्थव्यवस्था पर असर तो पड़ेगा लेकिन पिछले वर्ष की तरह बड़े पैमाने पर प्रभाव की सम्भावना नहीं है। यह भी कहा जा रहा है कि दूसरी लहर के चलते विभिन्न राज्यों में लाकडाऊन या इसी तरह की पाबंदियों का असर चालू वित्त वर्ष की तिमाही तक ही सीमित रहेगा। अब जबकि दूसरी लहर का प्रकोप कम होता दिखाई दे रहा है, जैसे ही स्थानीय स्तर पर ही पाबंदियां हटेंगी अर्थव्यवस्था फिर से गति पकड़ने लगेगी।
अर्थशास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अभी काफी समय लगेगा। अर्थव्यवस्था और टीकाकरण आपस में जुड़े हुए हैं। आबादी के बड़े हिस्से का वैक्सीनेशन हो जाने के बाद लोगों में विश्वास जागेगा और बाजार में मांग बढ़ेगी और वित्तीय स्थितियां धीरे-धीरे सरल होती जाएंगी। देशवासियों को यह याद रखना होगा कि पिछले वर्ष अक्तूबर के बाद इस वर्ष फरवरी तक संक्रमण की दर बहुत कम हो जाने तथा पाबंदियों को हटाने से अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा होने लगा था। तब उम्मीद बंधी थी कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आएगी।
लेकिन दूसरी लहर इतनी विकराल हुई कि उसने सबके विश्वास को हिला कर रखा दिया। भारत में बहुत कम समय में समूची वयस्क आबादी को राहत पहुंचाना आसान काम नहीं है। लेकिन अब परिस्थितियों को देखते हुए सरकार कोरोना की चार और वैक्सीन जल्द से जल्द भारत लाने का प्रयास कर रही है। जून माह में वैक्सीन की उपलब्धता सहज होने की उम्मीद है। रूसी वैक्सीन स्पूतनिक का उत्पादन भारत में ही शुरू हो चुका है और माडर्ना, फाइजर जैसी वैक्सीन भी आ जाएगी। कोवैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी कुछ कम्पनियों से अनुबंध किया गया है।