- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- आर्थिक असमानता की रपट

आर्थिक असमानताएं और विषमताएं आज भी हमारे देश में हैं। अमीरी-गरीबी की कहानियां बचपन से सुनते आए हैं। अब वयस्क होने के बाद आंखों से ये फासले देख रहे हैं। भारत सरकार के कार्यकारी निदेशक स्तर के अधिकारी का आकलन है कि भारत में गरीबी-रेखा के नीचे मात्र एक फीसदी आबादी है। देश में गरीबी का उन्मूलन किया जा चुका है। तो फिर सरकार मुफ्त अनाज क्यों बांट रही है? अंत्योदय कार्यक्रम क्या है? मकान बनाने के लिए पैसा क्यों बांट रही है? सरकार सबसिडी भी क्यों जारी रखे है? इन सवालों के जवाब उक्त अधिकारी तो नहीं देगा, लेकिन इस हास्यास्पद निष्कर्ष के विपरीत प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की जो रपट सार्वजनिक की गई है, वह आंखें खोल देने वाली है। भारत का आर्थिक यथार्थ उसमें पेश किया गया है। विवेक ओबरॉय इस परिषद के अध्यक्ष हैं। यह परिषद आर्थिक विषयों पर प्रधानमंत्री को सलाह देती है। गरीबी को कम करने और रोजग़ार को बढ़ावा देने के मद्देनजर भारत सरकार ने 2014 के बाद से कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन फिर भी आमदनी के गहरे फासले हैं। मात्र एक फीसदी तबका ऐसा है, जिसने 127 करोड़ रुपए कमाए, लेकिन नीचे से 10 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिन्होंने 32 करोड़ रुपए ही कमाए हैं। हमारे देश का करीब 15 फीसदी कार्यबल ऐसा है, जिसकी सालाना आमदनी करीब 50,000 रुपए ही है। यानी 4500 रुपए माहवार से भी कम…! पुरुष और महिला कामगारों की आय में गंभीर फासले हैं। सिर्फ एक फीसदी तबका इतना अमीर है कि देश की 77 फीसदी संपदा पर उसका कब्जा है। देख सकते हैं कि शेष भारत के पास कितने संसाधन होंगे? कोरोना-काल के दौरान एक तबका 30 लाख करोड़ रुपए कमा गया। इतना तो कई देशों का राष्ट्रीय बजट भी नहीं होता। इतनी कमाई कैसे की गई, यह सवाल पूछने वाला कोई भी नहीं है। सरकार ही पूछ सकती है, लेकिन सरकार ने ही इतनी मोटी कमाई के रास्ते बनाए हैं। दूसरी तरफ करीब 12 करोड़ लोगों की नौकरी, रोजग़ार या दिहाड़ी तक छिन गई। जिनकी तनख्वाहें उस दौर में कम की गई थीं, वे आज भी यथावत हैं। यानी वेतन में कोई वृद्धि नहीं, लेकिन रपट में 25,000 रुपए प्रति माह कमाने वाले व्यक्ति को देश के शीर्ष 10 फीसदी लोगों में गिना गया है। यह निष्कर्ष भी हास्यास्पद और मज़ाकिया है। साफ जाहिर है कि भारत में कमाई का स्तर कितना कम है? इसी से स्पष्ट है कि औसत भारतीय कितना गरीब है! यह आय सरकारी दफ्तर में चपरासी के पद पर काम करने वाले की तनख्वाह से भी कम है। रपट में गरीबी और बेरोजग़ारी का रुदन है। सबसे ज्यादा बेरोजग़ारी 34.5 फीसदी हरियाणा में है। यह राज्य औद्योगिक विकास और साधन-सम्पन्नता की दृष्टि से बहुत आगे है, फिर भी बेरोजग़ारी…! उसके बाद 28.8 फीसदी बेरोजग़ारी राजस्थान में है। बिहार में भी 21.8 फीसदी बेरोजग़ारी है। ये कोई सामान्य आंकड़े नहीं हैं।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचल
