- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- व्यापार घाटे से आर्थिक...

यकीनन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण जैसे-जैसे कच्चे तेल के वैश्विक दामों में भारी इजाफा हो रहा है, वैसे-वैसे भारत के विदेश व्यापार घाटे और महंगाई में तेजी के परिदृश्य से भारत की आर्थिक तथा वित्तीय मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। 17 मई को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल थोक महंगाई दर 15 फीसदी के पार हो गई है। यह 9 वर्ष की सर्वाधिक है। अप्रैल 2022 में पेट्रोल के थोक दाम में पिछले साल के मुकाबले 63 फीसदी की वृद्धि हुई। खुदरा महंगाई दर भी अप्रैल 2022 में 7.8 फीसदी हो गई है जो 95 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है। साथ ही 20 मई को डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया और एक डॉलर का मूल्य 77.60 रुपए हो गया। ऐसे में रुपए की कीमत में भारी कमी से बाजार में सब कुछ महंगा होते हुए दिखाई दे रहा है और व्यापार-कारोबार में भी कमी दिखाई दे रही है। गौरतलब है कि कच्चा तेल और खाद्य तेल भारत की सबसे प्रमुख आयात मदें हैं। जहां भारत के द्वारा कच्चे तेल की कुल जरूरतों का करीब 85 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है, वहीं खाद्य तेल की कुल जरूरतों का करीब 65 फीसदी आयात किया जाता है। ऐसे में इन दोनों सबसे बड़ी आयात मदों और चीन से बढ़ते आयातों ने भारत के व्यापार घाटे को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी विदेश व्यापार के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले माह अप्रैल में जहां देश का आयात 26.6 फीसदी बढ़कर 58.3 अरब डॉलर रहा, वहीं निर्यात 24.2 फीसदी बढ़कर 38.2 अरब डॉलर रहा। परिणामस्वरूप चालू वित्तीय वर्ष के पहले माह में ही व्यापार घाटा 20.1 अरब डॉलर की चिंताजनक ऊंचाई पर पहुंच गया।
सोर्स- divyahimachal
