सम्पादकीय

Ease Of Doing Business: व्यापार सुगमता की दिशा में अहम कदम

Neha Dani
22 Dec 2022 3:52 AM GMT
Ease Of Doing Business: व्यापार सुगमता की दिशा में अहम कदम
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जिसमें कोई नया कर नहीं लगाया गया और न ही करों या उपकरों में वृद्धि की गई, जो एक स्वागत योग्य कदम है।
जीएसटी काउंसिल की 48वीं बैठक विगत 17 दिसंबर को केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई, जिसमें केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के साथ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों ने भी भाग लिया। वर्तमान में, 1.40 करोड़ करदाता संस्थाएं जीएसटी के तहत पंजीकृत हैं। केंद्र और राज्यों का ध्यान जीएसटी आधार को हर स्तर पर ज्यादा व्यापक बनाने पर है, ताकि कर संग्रहण में वृद्धि हो सके। जीएसटी संग्रह वर्तमान में हर महीने औसतन लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि समय की कमी के कारण जीएसटी काउंसिल 15 मुद्दों में से केवल आठ पर ही निर्णय ले सकी, लेकिन इस बार कोई नया कर नहीं लगाया गया है, जो स्वागत योग्य है। चूंकि यह बैठक एक फरवरी, 2023 को पेश किए जाने वाले बजट से पहले हुई, इसलिए इसमें किसी भी कर परिवर्तन पर सबकी नजर थी।
जीएसटी काउंसिल ने तीन प्रकार के अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के बारे में एक क्रांतिकारी निर्णय लिया है। अब किसी अधिकारी को उसके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा डालने या रोकने; साक्ष्य के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ करने; और जानकारी न देने पर मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। जीएसटी करदाताओं के लिए यह बड़ी राहत होगी। किसी भी व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा शुरू करने की वर्तमान सीमा न्यूनतम एक करोड़ रुपये की कर चोरी है, जिसे अब बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसलिए फर्जी चालान-प्रक्रिया के मामलों को छोड़कर दो करोड़ रुपये तक की कर राशि वाले मामले आपराधिक कार्रवाई के दायरे से बाहर हो जाएंगे। हालांकि, जहां तक माल या सेवाओं या दोनों की आपूर्ति के बिना चालान जारी करने जैसे अपराध का मामला है, उसमें आपराधिक मुकदमा चलाने की सीमा एक करोड़ रुपये जारी रहेगी। कर अधिकारियों द्वारा कई उपाय किए जाने के बावजूद नकली चालान के मामले अब भी जारी हैं।
कुछ अपराधों के संबंध में जीएसटी कानून के तहत प्रासंगिक समझौता राशि (जैसा कि आयुक्त द्वारा निर्धारित किया गया) का भुगतान करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोई और कार्रवाई नहीं की जाएगी और आपराधिक कार्रवाई भी समाप्त हो जाएगी। वर्तमान में कानून समझौते के लिए कर राशि के 50 प्रतिशत से 150 प्रतिशत तक की सीमा निर्धारित करता है। आयुक्त इस सीमा के भीतर सटीक समझौता राशि का निर्धारण करते थे। इस समझौता राशि को घटाकर अब 25 से सौ फीसदी तक कर दिया गया है। जीएसटी परिषद की 47वीं बैठक के बाद पंजीकृत व्यक्ति को आवासीय आवास किराये पर दिए जाने पर छूट वापस ले ली गई थी। इसने एक भ्रम पैदा किया कि क्या एक व्यक्ति, जिसके पास अपने व्यक्तिगत नाम पर जीएसटी पंजीकरण है,
अगर किराये पर कोई आवासीय आवास लेता है, तो उसे भी करों का भुगतान करना होगा। अब यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसे पंजीकृत व्यक्ति द्वारा जीएसटी देय नहीं होगा, यदि आवासीय संपत्ति उसे अपनी व्यक्तिगत क्षमता पर किराये पर दी जाती है, न कि उसके व्यवसाय के लिए।
समय पर अपीलों पर कार्यवाही और अपीलकर्ताओं के अनुपालन बोझ को कम करने के लिए परिषद ने प्रस्ताव दिया है कि मूल रूप से आदेश की प्रमाणित प्रति का मतलब और अपीलीय प्राधिकारी द्वारा पावती जारी करने के निर्देश की व्याख्या करने के लिए स्पष्ट स्पष्टीकरण प्रदान किया जाए। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अपील वापस लेने के उद्देश्य से फॉर्म जीएसटी एपीएल-01/03 डब्ल्यू प्रदान करने का प्रस्ताव है। वर्तमान में इसमें काफी समय लगता है, लेकिन यह प्रस्ताव प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने में मदद करेगा। बीमा पॉलिसी खरीदारों के लिए भी अच्छी खबर है। यह स्पष्ट करने के लिए एक परिपत्र जारी किया जाएगा कि बीमा कंपनियों द्वारा दिया जाने वाला 'नो क्लेम बोनस' बीमा सेवाओं के मूल्यांकन के लिए स्वीकार्य कटौती है। इसलिए, 'नो क्लेम बोनस' को कम करने के बाद जीएसटी केवल शुद्ध प्रीमियम पर लागू होगा।
रुपे डेबिट कार्ड के प्रचार की योजना और कम मूल्य के भीम यूपीआई लेनदेन के तहत केंद्र सरकार द्वारा बैंकों को दिया गया प्रोत्साहन सब्सिडी जीएसटी के तहत कर योग्य नहीं है। इससे उन बैंकों को राहत मिलेगी, जिन्हें इस तरह की सब्सिडी पर जीएसटी की संभावित मांगों का सामना करना पड़ा था। ऑटो उद्योग में लग्जरी कारों पर 28 फीसदी जीएसटी और 22 फीसदी उपकर लगता है। एसयूवी इसके दायरे में आते हैं, लेकिन विभिन्न राज्यों में उसकी परिभाषा स्पष्ट नहीं थी, जिसे स्पष्ट करने के लिए चार मानदंड निर्धारित किए गए हैं। इससे ऑटो उद्योग, डीलरों और खरीदारों को सुविधा होगी।
जीएसटी काउंसिल ने दालों की भूसी पर कर की दरों को पांच प्रतिशत से घटाकर शून्य कर करने का भी निर्णय लिया। इथेनॉल पर जीएसटी 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। इसे चीनी उत्पादक कंपनियों के साथ-साथ तेल विपणन कंपनियों के लिए भी काफी सकारात्मक दृष्टि से देखा जा रहा है। यह भारत के तेल आयात को कम करके बहुमूल्य विदेशी मुद्रा को भी बचाएगा, जो अभी देश के लिए सबसे बड़ा आयात बोझ है। आधिकारिक बयान के अनुसार, जीएसटी दरों में ये बदलाव 'व्यापार की सुविधा और जीएसटी अनुपालन को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से किए गए हैं।
जिन तीन प्रमुख मदों पर विचार नहीं किया जा सका, उनमें पान मसाला और गुटखा फर्मों के लिए कराधान को सुव्यवस्थित करना, अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना पर मंत्रियों के एक समूह (जीओएम) की रिपोर्ट और मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा की अध्यक्षता में एक अन्य जीओएम की रिपोर्ट तथा ऑनलाइन गेमिंग, कैसिनो और घुड़दौड़ पर जीएसटी लेवी शामिल है। इन पर बाद में विचार किया जाएगा। कुल मिलाकर, ये उपाय अनुपालन को सरल बनाएंगे, अनुपालन बोझ को कम करेंगे और दो करोड़ रुपये से कम के अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के चलते मुकदमेबाजी और जबरन कार्रवाई को घटाएंगे। जीएसटी काउंसिल की यह बैठक आगामी केंद्रीय बजट की पृष्ठभूमि में हुई, जिसमें कोई नया कर नहीं लगाया गया और न ही करों या उपकरों में वृद्धि की गई, जो एक स्वागत योग्य कदम है।

सोर्स: अमर उजाला

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