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- सत्ता की कुर्सी पर
खुद सरकार भी हैरान थी कि सत्ता की कुर्सी पर धूल कहां से आकर चस्पां हो गई। राज्य के मुख्यमंत्री ने तुरंत इस आपदा में खुद को बुलंद करते हुए मोर्चा संभाला। सर्वप्रथम किचन कैबिनेट के सहयोगी बुलाकर पूछा गया कि आखिर यह धूल आई कहां से होगी। लगभग सभी सदस्यों ने कुछ कहने से पहले करीने से अपने-अपने चेहरों से धूल हटाने की कोशिश करते हुए कहा कि इस विषय पर टिप्पणी करने से पहले कुर्सी बदल दी जाए या धूल को चुपके से विपक्ष की तरफ फेंक दिया जाए। सुनकर मुख्यमंत्री को गुस्सा आ गया, 'कुर्सी बदलने की बात करके आप सत्ता को अभिशप्त कर रहे हैं। यह सत्ता की कुर्सी है, धूल की आंधी में भी इसे बदलने से बचाना है। रही बात धूल को हटाकर विपक्ष पर फेंकने की तो यह कार्य तो हम कर ही रहे हैं, लेकिन यह ढीठ अब इस तरह चिपक गई है कि लाख कोशिश करने पर भी हट नहीं रही।' किचन कैबिनेट के सदस्यों ने अपने शब्द वापस लेने से पहले सत्ता की कुर्सी को चाट-चाट कर साफ करना चाहा, मगर धूल ऐसी जमी थी कि हटने को तैयार नहीं थी। अंततः फैसला किया गया कि खुफिया तंत्र से मालूम किया जाए और इसी के अनुरूप जांच बैठा दी जाए।