सम्पादकीय

कोरोनाकाल में गरीब लोग सड़कों पर खाने को मांगते रहे, दिल्ली के स्कूलों में सड़ गया उनके हक का अनाज

Gulabi
16 Jun 2021 7:34 AM GMT
कोरोनाकाल में गरीब लोग सड़कों पर खाने को मांगते रहे, दिल्ली के स्कूलों में सड़ गया उनके हक का अनाज
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कोरोनाकाल में गरीब लोग

वीके शुक्ला। गोदाम या स्कूलों में गरीबों के हक का अनाज सड़ जाना बेहद गंभीर मामला है। इससे दुखद बात और क्या होगी कि संक्रमण काल में जरूरतमंद लोग अनाज की आस लगाए रह गए लेकिन अनाज उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें नहीं मिल पाया और सड़ गया। बीता वर्ष दिल्ली के लोगों या कहें कि देश के लोगों के लिए बहुत कष्टकारी रहा है। लाखों लोगों के रोजगार छिन गए। काम-धंधे बंद हो गए। आमदनी का कोई जरिया नहीं रहा ऐसे में लोगों का धैर्य जवाब देने लगा तो हजारों लोग घर वापसी के लिए एकाएक बस अड्डे और रेलवे स्टेशनों पर पहुंचने लगे। उस समय हर एक गरीब के सामने सबसे ज्यादा भोजन का संकट था।ऐसे में केंद्र सरकार ने उन्हें समझाया कि वे जहां हैं, वहीं रहें, सरकार उनके खाने-पीने की व्यवस्था करेगी। जो घर जाना चाहते थे उन्हें घर भी भिजवाया गया। दिल्ली सरकार ने भी ऐसे समय में सराहनीय कार्य किए। लोगों को स्कूलों में ठहराया गया, उन्हें भोजन दिया गया। उनकी जरूरतों का ध्यान भी रखा गया। जो लोग अपने घरों में रह रहे थे उन्हें राशन किट दी गई। हां, कुछ लोग जरूर शिकायत करते रहे कि उन्हें सरकार की ओर से राशन नहीं मिल पाया। अब यह अलग मुद्दा हो सकता है कि किस कारण कई लोगों को राशन नहीं मिल पाया।

मगर यहां सवाल यह है कि जो राशन गरीबों के लिए आ भी गया वह बंट क्यों नहीं पाया? जो लोग राशन बांटे जाने की व्यवस्था में शमिल थे उन्हें इस बात का आभास क्यों नहीं हुआ कि सरकार ने प्रयास कर जरूरतमंदों के लिए राशन मंगवाया है अगर वह बंट नहीं पाएगा तो कितना नुकसान होगा। आखिर वे कौन लोग थे जिन्होंने यह सोचने की जरूरत नहीं समझी कि इस समस्या से विभाग के वरिष्ठ लोगों को अवगत कराया जाए। या फिर जिन स्थानों पर अनाज को रखा गया क्या वह स्थान अनाज के रखने के लायक नहीं थे। ये सब मुद्दे जांच का विषय हैं। इसमें गंभीरता पूर्वक जांच होनी चाहिए।
बारीकी से हो मामले की जांच
मेरा तो यही मानना है कि यह सीधे-सीधे लापरवाही का मामला है। अन्यथा जिस शिद्दत से गरीबों के लिए राशन लाया गया उसे नहीं बांटे जाने का कोई कारण नहीं बनता है। कोई भी योजना अच्छे कार्य के लिए ही बनती है। उसे बनाते समय कोई कमी भी नहीं रखी जाती है, क्योंकि योजना का मकसद लोगों को लाभ पहुंचाना होता है, मगर कई बार लोगों को योजना के अनुरूप लाभ नहीं मिल पाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि योजना का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो पाता।
योजना को लागू करने वालों पर ही निर्भर करता है कि वह कितना सजग और जागरूक हैं और कितनी बारीकी से व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है। मुङो याद नहीं कि पूर्व में दिल्ली में इस तरह राशन सड़ जाने की कोई घटना हुई है। अगर कुछ अन्य मामलों में लापरवाही सामने आई होगी तो उन पर कार्रवाई भी हुई होगी। बहरहाल इस मामले में मेरी राय यही है कि इसकी तह तक जाना चाहिए और लापरवाही मिलने पर संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई भी होनी चाहिए।

(राकेश मेहता, पूर्व मुख्य सचिव, दिल्ली।)


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