सम्पादकीय

गांवों में पहुंचतीं शहरी सुविधाओं के कारण ही पांच राज्यों के चुनावों में बिजली, सड़क, पानी जैसे मुद्दों की नहीं है गूंज

Subhi
4 Feb 2022 5:21 AM GMT
गांवों में पहुंचतीं शहरी सुविधाओं के कारण ही पांच राज्यों के चुनावों में बिजली, सड़क, पानी जैसे मुद्दों की नहीं है गूंज
x
सुख-सुविधाओं के चलते शहर सदा से आकर्षण के केंद्र रहे हैं। दुर्भाग्यवश सुविधाओं के मामले में गांवों और शहरों के बीच की खाई बढ़ती गई। इस मामले में मोदी सरकार अलग साबित हुई।

रमेश कुमार दुबे: सुख-सुविधाओं के चलते शहर सदा से आकर्षण के केंद्र रहे हैं। दुर्भाग्यवश सुविधाओं के मामले में गांवों और शहरों के बीच की खाई बढ़ती गई। इस मामले में मोदी सरकार अलग साबित हुई। इस सरकार ने सात वर्षों में देश के लाखों गांवों को शहरों जैसी सुविधाओं से लैस कर दिया है। पिछले बजटों की तरह इस बजट में भी गांवों को सुविधा संपन्न बनाने के उपाय किए गए हैं। शायद गांवों में पहुंच रहीं सुविधाओं के कारण ही पांच राज्यों के चुनावों में बिजली, सड़क, बैंक, बीमा, फोन, आवास, शौचालय, रसोई गैस जैसे मुद्दों की गूंज नहीं।

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुुुल कलाम ने अपने विजन 2020 के तहत 'पुरा' अर्थात प्रोवाइडिंग अर्बन सर्विसेज इन रूरल एरियाज की संकल्पना की थी। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं उपलब्ध कराकर उन्हें विकसित करना था। 2004 में 'पुरा' माडल को देश के सात क्लस्टरों में तीन साल के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया। 2012 में दूसरा चरण शुरू हुआ, लेकिन उसे भी सफलता नहीं मिली। 2016 में मोदी सरकार ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन शुरू किया, जिसका उद्देश्य बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाकर स्थानीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है।

सुविधाओं को सीधे लाभार्थी तक पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने सभी देशवासियों का बैंक खाता सुनिश्चित किया। शहरी क्षेत्रों तक सिमटे बैंक-बीमा सुविधाओं को सभी देशवासियों तक पहुंचाने के लिए 44.4 करोड़ जनधन बैंक खाते खोले गए, जिनमें महिला खाताधारकों की संख्या 24.9 करोड़ रही। 55 प्रतिशत बैंक खाते ग्रामीण और अर्द्धशहरी इलाकों में खोले गए। इस प्रकार मोदी सरकार ने नकदी हस्तांतरण की बिचौलिया विहीन व्यवस्था विकसित की, जिसके लाभ अब मिल रहे हैं।

मोदी सरकार ने सबसे अधिक सुधार बिजली क्षेत्र में किया। सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने के बाद सरकार 24 घंटे-7 दिन बिजली आपूर्ति की दिशा में काम कर रही है। 2018-19 में जहां ग्रामीण इलाकों में औसतन 20.4 घंटे बिजली आपूर्ति होती थी, वहीं 2020-21 में यह बढ़कर 21.43 घंटे हो गई। इस दौरान शहरी क्षेत्रों में यह औसत 21.4 घंटे से बढ़कर 23.35 घंटे हो गया। सौभाग्य योजना के तहत 31 मार्च 2021 तक 2.8 करोड़ घरों में बिजली कनेक्शन दिया जा चुका है। बिजली नीति 2021 में कहा गया है कि बिजली वितरण कंपनियां बिना कटौती आपूर्ति करें, ताकि जनरेटर चलाने की नौबत न आए। नवीकरणीय ऊर्जा से 24 घंटे-7 दिन बिजली आपूर्ति की दिशा में काम हो रहा है। 2016 में कुल बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 19.6 प्रतिशत था, जो 2021 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गया।

ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त 2019 को लालकिले से जल जीवन मिशन शुरू करने की घोषणा की। इसके तहत सभी ग्रामीण घरों, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों को 2024 तक पाइपलाइन से पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। आजादी के बाद से अगस्त 2019 तक देश के 19.22 करोड़ ग्रामीण घरों में से मात्र 3.23 करोड़ घरों में नल से जल का कनेक्शन दिया गया था। मोदी सरकार अगस्त 2019 से दिसंबर 2021 अर्थात 29 महीनों में साढ़े पांच करोड़ घरों में नल से जल का कनेक्शन देने में सफल रही। जो काम 72 साल में नहीं हुआ, उससे लगभग दुगना काम मोदी सरकार ने महज 29 महीनों में कर दिया। अब तक 81 प्रतिशत स्कूलों और 78 प्रतिशत आंगनवाड़ी केंद्रों में पानी का कनेक्शन दिया जा चुका है। देश के 83 जिलों, 43404 पंचायतों, 84565 गांवों में सभी घरों में नल से जल दिया जा रहा है।

भारत नेट परियोजना के तहत हर गांव तक ब्राडबैंड इंटरनेट सुविधा पहुंचाने के लिए 5.46 लाख किमी लंबी आप्टिकल फाइबर यानी ओएफसी केबल बिछाई जा चुकी है। देश की सभी ढाई लाख पंचायतों तक ओएफसी पहुंचाने का काम हो चुका है। अब इंटरनेट सुविधा को ग्राम पंचायतों से घरों तक ले जाने का काम हो रहा है। इसे 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इसी का नतीजा है कि आज देश में 125 करोड़ से अधिक टेलीफोन-मोबाइल कनेक्शन हैं। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत सरकार गांवों में कामन सर्विस सेंटर की सहायता से उन लोगों तक ई सेवाएं पहुंचा रही है, जिनके पास कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा नहीं। इससे ग्रामीणों को खतौनी, पासपोर्ट, पैनकार्ड, वृद्धा एवं विधवा पेंशन जैसी जरूरतें स्थानीय स्तर पर ही पूरी हो रही हैं।

रसोईघरों को धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए पीएम उज्ज्वला योजना शुरू की गई, जिसके तहत सात वर्षों में साढ़े आठ करोड़ एलपीजी कनेक्शन दिए गए। एलपीजी का कवरेज 95 प्रतिशत से अधिक आबादी तक पहुंच चुका है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में 11 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में चार करोड़ आवासों की कमी है। मोदी सरकार ने सात वर्षों में 1.6 करोड़ आवास तैयार कर लाभार्थियों को सौंप चुकी है। 2022-23 में 80 लाख गरीबों को घर देने की योजना है। गांवों को उच्च गुणवत्ता युक्त संपर्क सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पीएम ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कें बनाई जा रही हैं। देश के लाखों गांवों को उत्पादक केंद्र बनाने की दूरगामी योजना पर भी काम हो रहा है। एक जिला-एक उत्पाद जैसी योजनाओं के जरिये देश के लाखों गांव उत्पादन की धुरी बनेंगे।


Next Story