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- मोदी सरकार की नीतियों...
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछेक किसान संगठनों के आंदोलन का क्या हश्र होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन आम किसान देश को आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हैं। वर्ष 2019-20 के दौरान देश में दालों का उत्पादन बढ़कर 2.32 करोड़ टन के आंकड़े पर पहुंचना इसका स्पष्ट प्रमाण है। इससे दशकों बाद दालों के मामले में आयात पर हमारी निर्भरता खत्म हो गई। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की सरकारों को अपने देश के किसानों से कहना पड़ा कि वे दलहनी फसलों की खेती न करें। गौरतलब है कि पिछली सदी के सातवें दशक में शुरू हुई हरित क्रांति ने एक फसली खेती को बढ़ावा दिया। इससे जहां गेहूं-धान के उत्पादन में आशातीत बढ़ोतरी हुई वहीं दलहनी-तिलहनी और मोटे अनाजों की खेती अनुर्वर तथा सीमांत भूमि पर धकेल दी गई। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत खाद्य तेल और दालों का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक बन गया। जहां तक दालों का सवाल है तो भारत हर साल 50 से 60 लाख टन दाल आयात करने लगा।