सम्पादकीय

नशे का जाल

Subhi
8 Dec 2022 6:03 AM GMT
नशे का जाल
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अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। उसने कहा कि पंजाब की हर गली में एक भट्ठी है, गरीब लोग नकली शराब पीकर मर रहे हैं। इस तरह तो युवा खत्म हो जाएंगे। अदालत ने पंजाब सरकार से नकली शराब की बिक्री रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

Written by जनसत्ता; अब सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। उसने कहा कि पंजाब की हर गली में एक भट्ठी है, गरीब लोग नकली शराब पीकर मर रहे हैं। इस तरह तो युवा खत्म हो जाएंगे। अदालत ने पंजाब सरकार से नकली शराब की बिक्री रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो स्थानीय पुलिस को जवाबदेह माना जाएगा। पिछले विधानसभा चुनाव में नशे का कारोबार बड़ा मुद्दा था।

आम आदमी पार्टी ने बढ़-चढ़ कर इसके लिए पिछली सरकारों को दोषी करार दिया और सत्ता में आने के बाद नशे के कारोबार को खत्म करने का दावा किया था। मगर अभी तक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं दिख रही। कहा जाता है कि पंजाब सीमावर्ती राज्य है और यहां सीमा पार से नशे की खेप को रोकना मुश्किल बना हुआ है। मगर इस तर्क पर राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों पर परदा नहीं डाल सकती। सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा है कि अगर सीमावर्ती राज्य सुरक्षित नहीं है, तो फिर कैसे चलेगा।

पंजाब में नशे के कारोबार का जाल बहुत पुराना है। अब यह भी छिपा नहीं कि इसे राजनीति और प्रशासन के शीर्ष स्तर से शह मिलती रही है। इस सिलसिले में पुलिस के कई बड़े अधिकारी और कुछ राजनेता भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसलिए ऐसा नहीं माना जा सकता कि पंजाब पुलिस को नशे का जाल फैलाने वालों के बारे में बिल्कुल जानकारी न हो। मगर ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत होती है, वह शायद वर्तमान पंजाब सरकार के पास नहीं है।

जिस राज्य में गली-गली में नकली शराब बनती, मादक पदार्थों की बिक्री होती हो, जिसके चलते वहां के युवा असमय मौत के मुंह में समा जाते हों, वहां की सरकार अगर इस समस्या से पार पाने को केवल चुनावी जुमला बना कर यथास्थिति को स्वीकार किए बैठी रहे, तो इससे बड़ी विडंबना कुछ हो नहीं सकती। हालांकि यह समझना मुश्किल नहीं है कि नशे के कारोबारी इतने ताकतवर होते हैं और अक्सर उनके तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े होते हैं, इसलिए उन पर हाथ डालने का साहस सरकारें कर नहीं पातीं। दबे-छिपे ढंग से यह भी कहा जाता है कि ये कारोबारी राजनीतिक दलों को चुनाव के वक्त बड़े पैमाने पर आर्थिक मदद मुहैया कराते हैं।

पंजाब की पिछली सरकारों से लोग इसीलिए नाराज थे कि उन्होंने नशा कारोबारियों पर शिकंजा कसने का साहस नहीं दिखाया, बल्कि वे उन्हें अंदरखाने शह देती रहीं। आम आदमी पार्टी से उन्हें भरोसा बना था कि वह पंजाब को लीलते नशे के कारोबार पर अंकुश लगाएगी। मगर वह भी इस मामले में शिथिल या विफल नजर आ रही है, तो उसे लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है।

इस दिशा में वह सर्वोच्च न्यायालय के सामने अपनी तैयारियों का क्या ब्योरा पेश करती है, देखने की बात है। मगर जिस तरह उसकी सरकार आने के बाद वहां आपराधिक गतिविधियां नए सिरे से सिर उठाने लगी हैं, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कानून-व्यवस्था के मामले में सख्त सरकार साबित नहीं हो रही। अपराध और नशे का कारोबार साथ-साथ फलते-फूलते हैं। अगर अब भी पंजाब सरकार इसे लेकर सख्त नहीं हुई, तो आने वाले समय में स्थितियां और विकट होंगी।


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